आत्मा की तृप्ति के लिए योग है बेहतर उपाय

टेक्नोलॉजी सुख सुविधाए तो दे देती है पर कहीं हमारी शांति को आहत भी करती है । यंत्रों ने एक तरह से मनुष्य कि गतिविधियों पर कब्जा है कर लिया है । जो काम आदमी घंटो में कर पाता था वह मशीन से मिनटों में होने लगा है आने वाले पांच दस साल में टेक्नोलॉजी अपने ढंग से पसर चुकी होगी और मनुष्य वक्त के मामले में खाली हो जाएगा । यही से जिंदगी में एक नए ही तरह का खतरा आएगा क्युकी समय काटने के लिए वह खुद को कटेगा। पिछले दिनों सड़क यात्रा के दौरान मैंने एक दुकान पर पंचर हुई कार के टायर को निकालने के लिए एक मशीन देंखी। दुकान वाले ने मशीन लगाई और बटन दबाते ही पहिया इतनी तेजी से घुमा कि तुरंत नट बोल्ट खुल गए चक्का बाहर आ गया ।पहले इसी काम में आधा घंटा तो लगता ही था। यह एक छोटा सा उदाहरण मात्र है हमारा विषय यह है कि जब इन सुख सुविधाओं को शरीर भोगेगा तो वह टूटेगा भी। शरीर का स्वभाव है मिल जाए तो बावला हो जाना, न मिले तो नैराश्य ने डूब जाना। इस बदलते दौर में टेक्नीक जो सुविधाए दे रही है, उसके बावजूद हम अशांत इसलिए रहेंगे की हमने आत्मा कि तृप्ति के लिए कुछ नहीं किया। समय रहते आत्मा कि तृप्ति के लिए भी कुछ कर लिया जाए।इसका सबसे अच्छा तरीका है योग

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