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जुलाई, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

डेटा की निजता और सुरक्षा

   डेटा की निजता और सुरक्षा /सतर्कता से  डेटा सुरक्षा  हमारे मोबाइल और लैपटॉप में फ़ोन नंबर और तस्वीरों के आलावा कई जरुरी और निजी जानकारियां भी मौजूद होती है | बहुत सारे  महत्वपूर्ण दस्तावेज ,पासवर्ड ,बैंक खाते की जानकारियां अमूमन इसी में रखते है | जब तक ये मोबाइल और लैपटॉप हमारे पास है तब तक ये सुरक्षित है | परन्तु यदि ये किसी गलत हांथों में पहुँच जाए तो इससे न सिर्फ आपकी निजता पर सेंध लग सकती है बल्कि कई बार बैंक सम्बंधित डेटा भी लीक हो सकता है | और ऐसा तब होता है जब हम लैपटॉप या मोबाइल को किसी और के हांथों में सौपें | डार्क वेब में कंप्यूटर और फ़ोन का डिजिटल डेटा भी बेचा जा सकता है | इन खतरों को देंखते हुए जरुरी है कि हम जाने कि कैसे पुराना फ़ोन या लैपटॉप बेचने के पहले अपने महत्वपूर्ण डेटा को सुरक्षित रखा जाए| मोबाइल को करे फैक्टरी रीसेट  इसका अर्थ है फ़ोन को नई स्थिति में  लाना | इसके लिए फ़ोन की सेटिंग में जाएँ , इसके बाद इसमें दिए गए फैक्टरी रीसेट के विकल्प पर क्लिक कर दे | अलग -अलग  कम्पनी के फ़ोन में विकल्प में बदलाव हो सकता है | स्मार्टफोन रीसेट करने के बाद उसमे मौजूद नंबर ,तस्वीरें

हमारे बारे में ...............

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हमारे बारे में ............... malumsa.com(sanjeet kumar) संजीत कुमार, जीवन परिचय  (www.malumsa.com) संजीत कुमार ,परिचय  नाम संजीत कुमार  जन्म 02 फरवरी 1991  जन्म स्थान लोहान ,बिहार  उपनाम संजीत  उम्र 30  पैशा ब्लॉगर  शौक लिखना, पढ़ना, ऑनलाइन कमाई करना शिक्षा Bachelor in computer application(BCA) collage birla institute of technology,ranchi  पिता श्री सुरेश रजक  माता स्व सुमित्रा देवी   वैवाहिक स्थति विवाहित धर्म हिन्दू धर्म नागरिकता भारतीय कमाई महिना 10k वर्तमान आवास बिहार   

मल्टीप्लेक्स, सिनेमा हॉल, Gym जाते वक्त जरूर बरतें यह सावधानियां

 मल्टीप्लेक्स, सिनेमा हॉल, Gym जाते वक्त जरूर बरतें यह सावधानियां छुट्टियों में बाहर घुमने जाना हो या फिर दफ्तर के काम से दुसरे शहर जाना हो, हम जाने से पहले नासमझी में कुछ ऐसी त्रुटियां  कर देते है ,जो हमारे लिए ही मुश्किल खड़ी  कर सकती है | घर खाली रहेगा इस बारे में सिर्फ हमें ही पता होना चाहिए , न कि बाहरी व्यक्तियों को , इसलिए बाहर जाते समय कुछ बातों को हमेशा गांठ बांधकर निकलना चाहिए | लाइट खुली छोड़ना  अक्सर घर से बाहर जाते समय लोग लाइट खुली छोड़ देते है ताकि अंधेरा न रहे | दिनभर लाइट जलने के कारण लोगों को अंदाजा हो जाता है कि घर में कोई नहीं है | इस मुश्किल से बचने के लिए आजकल प्रचलित एलडी लाइट का उपयोग कर सकते है | इनमे सेंसर होने के कारण ये सिर्फ अँधेरा होने पर ही जलती है और उजाला होते ही बंद हो जाती  है | इससे लोग बल्ब जलने की वजह से आपके घर से बाहर होने का अंदाजा नहीं लगा पाएंगे |   लैटर बॉक्स भरा रहना  घर से बाहर जाने से पहले अक्सर लोग घर के बाहर लगे लैटर बॉक्स को खाली नहीं करते जिस कारण अनुपस्थिति में पत्र डालने पर वे बॉक्स से बाहर निकलने लगते है | इस कारण भी लोग जान लेते है कि
 काम सौपकर भी क्यों सफल नहीं होते है मैनेजर्स मजबूत काबिल और होनहार टीम होने के बावजूद कई बार मैनेजर्स खुद को काम के बोझ तले दबा लेते है | जबकि होना यह चाहिए कि मैनेजर केवल प्राथमिक और जरुरी कामों पर फोकस करें और बाकी काम टीम को सौप दें| इसकी कई वजह हो सकती है |1 . टीम को विकास का मौका नहीं मिलता अगर आप किसी प्रोजेक्ट का चार्ज बार-बार खुद ही लेते है तो आपके साथियों को अपनी एक्सपार्टीस विकसित करने का मौका नहीं मिल पाता है |वे अपने लिए सोच ही नहीं पाता है |आप उन्हें हर बात को विस्तार से समझाने के बजाय इनसे सीधे ही सवाल कर सकते है | इस तरह आप उन्हें बारीकी से विचार करने के लिए प्रोत्साहित भी कर सकते है| 2 . टीम के सदस्य पहल करने से बचते है अगर आप केवल इसलिए काम नहीं सौप रहे है कि लोग पहल नहीं करते या फॉलो नहीं करते तो इस समस्या का किसी रणनीति के साथ हल निकालें | हर मीटिंग में टीम के किसी मेम्बर को एक्शन आइटम डेडलाइन्स और टास्क -ओनरशिप कि लिस्ट तैयार करने के लिए कह सकते है |इसके बाद हर बिंदु पर ध्यान देते हुए अगली लिस्ट भी शुरू कर दें| 3. टीम के काम की गुणवत्ता कमजो
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फीस चुकाने के लिए वेटर तक बने लिखने और फुटबॉल के शौक़ीन इन्फोसिस के सह -संस्थापक नारायण मूर्ति के दामाद है | ब्रिटेन में प्रधानमंत्री पद के दावेदारों में सबसे आगे चल रहे है जन्म -12 मई 1980 इंग्लैंड शिक्षा -एमबीए स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी दुनिया भर में फेमस स्टार वार्स मूवी के वो करैक्टर आपको जरुर याद होंगे जो हांथों में रोशिनी से बनी एक तलवार लेकर दुश्मनों का नाश करते है | इन्हें जेडी कहा जाता है ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद की दौर में सबसे आगे चल रहे भारतीय मूल के नेता ऋषि सुनक भी बचपन में ऐसे ही दुश्मनों का नाश करना चाहते थे | उन्होंने सपना बुना कि बड़े होकर वे जेडी ही बनेंगे दीवानगी इस हद तक थी कि स्टार वार के लोगों और जेडी के सैकड़ो स्टिकर्स का कलेक्शन इन्होने कर रखा था | एक मध्यम वर्गीय परिवार में पले बढे सुनक ने इंग्लैंड के विनचेस्टर स्कूल में पढाई के दौरान स्कालरशिप न मिल पाने के कारन फीस भरने के लिए होटल में वेटर तक काम किया | फुटबॉल और फिटनेस के शौक़ीन सुनक लेखन का शौक रखते है | ये अभी तक चार किताबें लिख चुके है | सुनक ने वित्त मंत्री रहते हुए पिछले साल दिवाली
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  सिर्फ कम नींद ही ज्यादा नींद भी मोटापा ,हार्ट रोग और अवसाद का कारण ज्यादा नींद से बीमारी बढती है आय घटती है नींद से न केवल सोचने और समझने की क्षमता प्रभावित होती है बल्कि शारीरिक , भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा पड़ता है | अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रयाप्त नींद बहुत जरुरी है लकिन यही नींद जब जरुरत से ज्यादा होने लगती है तो फायदा पहुँचाने की जगह स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाने लगती है | जैसे कम नींद से अवसाद मोटापा हर्दय रोग जैसी बिमारियों का खतरा बढ़ता है वैसे ही अधिक नींद भी इन बिमारियों का कारन बनती है |इसके आलावा व्यक्ति की प्रोडक्टविटी भी घटती है , जिसका असर उसकी आय पर पड़ता है पर यही नींद को तय कैसे करे ? क्योकि हर व्यक्ति की नींद की जरुरत उसके श्रम और स्वास्थ्य के अनुसार अलग -अलग होती है | नेशनल स्लीप फाउंडेशन के विशेषज्ञों ने शोध में पाया कि 18 से 64 साल के व्यक्ति सामान्य रूप से 7 से 9 घंटे की नींद के बाद खुद को तरोताजा महसूस करने लगते है | रोज 9 घंटे से अधिक की नींद को तय सीमा से अधिक माना गया |हालाँकि सप्ताह में कभी -कभी 9 घंटे या उससे अधिक सोना नुकसानदायक नहीं है |
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  1950 में दुनिया की आबादी 260 करोड़ थी | आज लगभग 795 करोड़ लोग पृथ्वी के संसाधनों का उपयोग कर रहे है | 2050 में आबादी 980 करोड़ होने का अनुमान है| दुनिया की आबादी में जुड़ रहा हर नया व्यक्ति एक नया उपभोगता है | इस आबादी के लिए भोजन पोषण की जरूरतों को पूरा करना एक चुनौती है , लेकिन कई छोटे -छोटे उपायों को अपनाया जाए तो यह संभव है | इसमें हर व्यक्ति सहभागी बन सकती है इसके लिए उसे आदतों में थोडा बदलाव करना होगा | जानते है हमारे सामने क्या चुनौतियाँ है और इनका सामना किस तरह किया जा सकता है | अब भूमि का उपयोग नहीं बदलना है बढती आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए लगातार जंगलों को काटकर खेत बनाया गया |दुनिया के बर्फ मुक्त क्षेत्र में से इन्सान 194 लाख वर्ग मील भूमि का उपयोग कृषि के लिए बदल चूका है | 75 लाख वर्ग मील भूमि को उसने अन्य उपयोग के लिए बदला | यह कुल भूमि का 53 % हिस्सा है इसका बड़ा उपयोग मवेशियों को पालने लकड़ी ताड़ के तेल के उत्पादन में हुआ | 85 करोड़ के सामने भूख का संकट
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बदल रहा है भारतीय मतदाता का मिजाज   दुनिया के ट्रेंड्स पर नजर आज की राजनीती में जितने के लिए आपको देश की समझ जरुरी है ,आपको जमीं पर कान रखना होगा और ट्रेंड्स को परखना होगा | इसके बाद आपको ट्रेंड्स के हिसाब से आगे बढ़ना सीखना होगा |बात चाहे राजनीती की हो या जीवन की अगर दुनिया बदल रही है तो उसमे प्रासंगिक बने रहने के लिए आपको भी बदलना पड़ेगा | जो ऐसा करेंगे वो बड़ा स्कोर बना पाएंगे |जो ऐसा नहीं कर सकेंगे ,वे शो से बाहर हो जायेंगे और अगले सीजन में दिखलाई नहीं देंगे | बीते दशक में भारतीय राजनीति में कुछ ट्रेंड देंखे गए है ,जिनके बारे में अपेक्षा है कि वे समय के साथ और मजबूत होते चले जायेंगे | आज मतदाता के सोचने का तरीका बदल रहा है और कोई भी पार्टी इसकी उपेक्षा नहीं कर सकती | तो ये रहे वे पांच बिंदु जो भारतीय राजनीति की बदलती हुई हवा के बारे में हमें बताते है | 1 . वंशवाद का घटता मूल्य : एक समय था जब भारतियों को वंशवाद से प्यार था | नेता हो या अभिनेता अगर आपके माता या पिता भी उसी पेशे में थे और उनका अपना एक ब्रांड था तो इससे आपको बड़ा लाभ मिलता था | भारत के लोग सरनेम पर

गलत राह पर जाने से बच्चों को कैसे रोकें

 गलत राह पर जाने से बच्चों को कैसे रोकें  गेम की लत में हैकिग का यह पहला बड़ा मामला है , लेकिन इससे पहले भी विडियो गेम्स की लत के काफी बुरे परिणाम सामने आये है | कुछ ने माता -पिता के हजारों -लाखों में पैसे उड़ा दिए , कुछ ने परिवार को ही ख़त्म कर दिया , तो कुछ ने खुद को|  बच्चों में ऑनलाइन गेमिंग की लत इतनी बढ़ गयी है कि वो इसके लिए कुछ भी करने को तैयार है | इससे उनकी सोच और बर्ताव पर भी असर पड़ रहा है | इस समय भारत की 41  फीसदी  आवादी जो 20 साल से कम उम्र की है ,ऑनलाइन गेम्स की आदी बन चुकी है | 2018में ऑनलाइन गेम खेलने वाले बच्चों और किशोरों की संख्या 26.90 करोड़ थी वही 2022 के अंत तक ये आंकड़ा 51 करोड़ को भी पार  कर  सकता है|     बच्चों में बढ़ रही तनाव डिप्रेशन की शिकायत  ऑनलाइन गेम की लत में पड़ने वाले बच्चों में तनाव और डिप्रेशन की शिकायत बढ़ रही है क्योकि वे  गेम में इतना उलझ जाते है कि उससे उबार ही नहीं पाते | एक रिपोर्ट के अनुसार 87 प्रतिशत लोग ये मान रहे है कि ऑनलाइन गेम के माध्यम  से वो डिप्रेशन के शिकार हुए है |वही मारधाड़ और शूटिंग वाले गेम ज्यादा लोकप्रिय है जिसके कारण बच्चों में बहुत

खेल -खेल में भटक रहा है राह

  खेल -खेल में भटक रहा है राह ऑनलाइन विडियो गेम्स बच्चों का दिमाग थोडा तेज कर तो रहे है , लेकिन यह तेजी उनके अपनों के खिलाफ भी इस्तेमाल हो रही है | ऑनलाइन खेल का ये मैदान बच्चों को छल करने और झूठ बोलने सहित चालबाजियां सिखा रहा है |  जितनी जल्दी हो सके बच्चो को इस खेल की अंतहीन गलियों से बहार निकाल लें  हल ही में एक 13 साल के बच्चे को ऑनलाइन गेम की कर दिया | बच्चा दिनभर विडियो गेम खेलता था , जिसकी लत में उसने माता -पिता के फ़ोन में हैकिग एक इनस्टॉल  करके सारा डेटा डिलीट कर दिया |

मानव सह पशु विकास संस्थान द्वारा संचालित पशु पालन सह प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षण

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1 पशुपालन से होनेवाले लाभ को लिखे। उत्तर _पशुपालन से निम्न लाभ है_ इससे बेरोजगारी समस्या का समाधान होता है घर की महिलाएं एवम बच्चे भी इस ववसाय को कर सकते है। बेकार बचे हुए समय का सदुपयोग हो जाता है इससे आर्थिक एवम राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है। दूध मांस अंडा को पौष्टिकता के आधार पर उत्तम दर्जा प्राप्त है। थास्ववकाय चर्बी औषधि निर्माण में चमरा दांत सौंदर्य प्रसाधन में ।मूत्र गोबर कृषि के लिए खाद का पूरक है।पशुपालन से अर्जित संपत्ति में आयकर मुक्त है। 2 निम्न पशुओं में सामान्य तापमान कितना होगा? 1•गाय _101•3°F 2 भैंस _104•3°F 3 बकरी _103•10°F 4 घोड़ी _100•4°F 5 कुत्ता _101•30°F 6 मुर्गी _ 107°F 7 हाथी 98•06°F 8 भेड़ _102•56°F 3• पशु व्यवस्था से क्या समझते है? शारीरिक बनावट एवम पहचान   आस्वास्थ्य पशु। की पहचान स्वास्थ्य वातावरण की व्यवस्था  बीमार पशु की भोजन गर्भवती जानवर का देख भाल टीकाकरण करवाना आयु ज्ञात करना, औषधि सेवन करने की विधि आवास व्यवस्था , पशु को चिन्हित करना। 4• पशु पोषण के सिंधांत को लिखे। पशुओं को जीवित रहने कार्य करने वृद्धि करने तथा उत्पादन हेतु चारे दाने का व्य

मानव सह पशु विकास संस्थान द्वारा संचालित पशु पालन सह प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षण

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1 पशुपालन से होनेवाले लाभ को लिखे। उत्तर _पशुपालन से निम्न लाभ है_ इससे बेरोजगारी समस्या का समाधान होता है घर की महिलाएं एवम बच्चे भी इस ववसाय को कर सकते है। बेकार बचे हुए समय का सदुपयोग हो जाता है इससे आर्थिक एवम राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है। दूध मांस अंडा को पौष्टिकता के आधार पर उत्तम दर्जा प्राप्त है। थास्ववकाय चर्बी औषधि निर्माण में चमरा दांत सौंदर्य प्रसाधन में ।मूत्र गोबर कृषि के लिए खाद का पूरक है।पशुपालन से अर्जित संपत्ति में आयकर मुक्त है। 2 निम्न पशुओं में सामान्य तापमान कितना होगा? 1•गाय _101•3°F 2 भैंस _104•3°F 3 बकरी _103•10°F 4 घोड़ी _100•4°F 5 कुत्ता _101•30°F 6 मुर्गी _ 107°F 7 हाथी 98•06°F 8 भेड़ _102•56°F 3• पशु व्यवस्था से क्या समझते है? शारीरिक बनावट एवम पहचान   आस्वास्थ्य पशु। की पहचान स्वास्थ्य वातावरण की व्यवस्था  बीमार पशु की भोजन गर्भवती जानवर का देख भाल टीकाकरण करवाना आयु ज्ञात करना, औषधि सेवन करने की विधि आवास व्यवस्था , पशु को चिन्हित करना। 4• पशु पोषण के सिंधांत को लिखे। पशुओं को जीवित रहने कार्य करने वृद्धि करने तथा उत्पादन हेतु चारे दाने का

ईसाई संप्रदाय और क्रिसमस

भिन्न- भिन्न देशों के ईसाई धर्म में समय - समय पर अनेक संप्रदायों का जन्म हुआ । फलतः क्रिसमस के आयोजन में विध्न - बाधाए आयी। 1644 ईसवी में इंग्लैंड के एक ईसाई संप्रदाय प्यूरिटन ने कानून बनाकर इसकी निंदा की और इसपर रोक लगा दी। 18वी शताब्दी में क्रिसमस ने एक नया रूप ग्रहण किया और इसे फिर से प्रकाश में आने को अवसर दिया। अब यह माना गया कि क्रिसमस न केवल आनंद उल्लास और मनोरंजन का साधन है, बल्कि गरीब लोगों को सेवा और उनके उत्थान में भी सहायक है। इसके द्वारा दिन - दुखियों की सेवा होनी चाहिए। इसके विपरित स्कॉटलैंड का प्रिजबीटरियन संप्रदाय क्रिसमस से उदासीन रहा। इस उतार - चढ़ाव के बावजूद सारे ईसाई संसार में 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्योहार अपने - अपने ढंग से मनाया जाता है। ईसाई समाज में इसका न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक महत्व भी है। सच तो यह है कि क्रिसमस ईसाइयों के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। क्रिसमस का त्योहार कहीं बच्चो की मंगलकामनाओं के लिए कहीं पारिवारिक सुख - शांति के लिए और कहीं जातीय भाईचारे के रूप में मनाया जाता है। हर ईसाई देश में क्रिसमस की अपनी विशेषताएं और प्रथाए है, अपने रीति -

डॉ o राजेंद्र प्रसाद

भारत देश के रत्न और बिहार के गौरव डॉ o राजेंद्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। वे लगभग 10 वर्ष इस पद पर बने रहे। इस काल में देश कि अच्छी उन्नति हुई। उनकी सेवाएं अमूल्य और अनेक है। राजेंद्र प्रसाद जी का जन्म 3 दिसंबर 1884 ईसवी को सारण जिले के जीरादेई नामक गांव में हुआ था। उनके बड़े भाई श्री महेंद्र प्रसाद ने अपने छोटे भाई राजेंद्र प्रसाद का लालन पालन किया था और ऊंची शिक्षा पाने में उनकी मदद कि थी । राजेंद्र बाबू ने पटना के o टी o के o घोष एकेडमी में शिक्षा पाकर कलकत्ता विश्वविद्यालय से सन् 1900 में प्रथम श्रेणी में इंट्रेंस परीक्षा पास की। इस परीक्षा में उन्हे सबसे अधिक अंक मिले। सारे देश में उनकी प्रसंशा हुई। सन् 1906 में उन्होंने एम o ए o की परीक्षा पास की और इसके बाद एम o एल o की परीक्षा भी। राजेंद्र बाबू अपनी सभी परीक्षाओ में सदा सर्वप्रथम होते रहे, यह उनकी शिक्षा और प्रतिभा की बहुमूल्य विशेषता है। सभी उनकी योग्यता और विद्वता पर मुग्ध थे। सारे देश में उनका नाम फैल गया । शिक्षा समाप्त कर लेने के बाद राजेंद्र बाबू ने पहले कलकत्ता में, फिर पटना होईकोर्ट में वकालत शुरू की। इससे उन्

शक्ति का इस्तेमाल न करने की महाशक्ति हैं

सोमवार को बर्बर और भयानक घटना के एक वायरल वीडियो ने हम सभी को चौका दिया। मध्यप्रदेश के गुना में एक गर्ववती महिला को उसके पति के परिवार के एक सदस्य को कंधे पर बैठकर तीन किलोमीटर तक ऊबड खाबड़ रास्ते पर चलने के लिए मजबूर किया गया । हांथो में लाठियां और क्रिकेट बैट लेकर ग्रामीण साथ चल रहे थे। कुछ को महिला की बेइज्जती में आनंद आ रहा था तो कुछ उसे लाठियां और बैट से मार भी रहे थे।  ऐसा शारीरिक अपमान शायद विकसित शहरों में दुर्लभ है लेकिन विकसित देशों समेत ज्यादातर मेट्रो शहरों में महिलाएं आज भी एक अलग प्रकार का अपमान सहती है , जिसकी ओर शायद दुनिया का ध्यान नहीं जाता । मै ऐसी कई महिलाओ को जानता हूं जो पुरषों और महिलाओ के साथ समान व्यवहार करने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियो में काम करती है। लेकिन उनका अनकहा असंतोष यह है कि उन्हें मीटिंग में बोलने का प्रयाप्त समय नहीं मिलता । समय देने में इस भेदभाव के कारण कहीं दूर बैठे बोर्ड ऑफ डायरेक्टर से अपनी बात कहने के लिए उन्हें समय चुराना पड़ता है, जिससे कभी - कभी नकारात्मक छवि बनती है।

शक्ति का इस्तेमाल न करने की महाशक्ति हैं

सोमवार को बर्बर और भयानक घटना के एक वायरल वीडियो ने हम सभी को चौका दिया। मध्यप्रदेश के गुना में एक गर्ववती महिला को उसके पति के परिवार के एक सदस्य को कंधे पर बैठकर तीन किलोमीटर तक ऊबड खाबड़ रास्ते पर चलने के लिए मजबूर किया गया । हांथो में लाठियां और क्रिकेट बैट लेकर ग्रामीण साथ चल रहे थे। कुछ को महिला की बेइज्जती में आनंद आ रहा था तो कुछ उसे लाठियां और बैट से मार भी रहे थे।  ऐसा शारीरिक अपमान शायद विकसित शहरों में दुर्लभ है लेकिन विकसित देशों समेत ज्यादातर मेट्रो शहरों में महिलाएं आज भी एक अलग प्रकार का अपमान सहती है , जिसकी ओर शायद दुनिया का ध्यान नहीं जाता । मै ऐसी कई महिलाओ को जानता हूं जो पुरषों और महिलाओ के साथ समान व्यवहार करने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियो में काम करती है। लेकिन उनका अनकहा असंतोष यह है कि उन्हें मीटिंग में बोलने का प्रयाप्त समय नहीं मिलता । समय देने में इस भेदभाव के कारण कहीं दूर बैठे बोर्ड ऑफ डायरेक्टर से अपनी बात कहने के लिए उन्हें समय चुराना पड़ता है, जिससे कभी - कभी नकारात्मक छवि बनती है।

डॉ o राजेंद्र प्रसाद

भारत देश के रत्न और बिहार के गौरव डॉ o राजेंद्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। वे लगभग 10 वर्ष इस पद पर बने रहे। इस काल में देश कि अच्छी उन्नति हुई। उनकी सेवाएं अमूल्य और अनेक है। राजेंद्र प्रसाद जी का जन्म 3 दिसंबर 1884 ईसवी को सारण जिले के जीरादेई नामक गांव में हुआ था। उनके बड़े भाई श्री महेंद्र प्रसाद ने अपने छोटे भाई राजेंद्र प्रसाद का लालन पालन किया था और ऊंची शिक्षा पाने में उनकी मदद कि थी । राजेंद्र बाबू ने पटना के o टी o के o घोष एकेडमी में शिक्षा पाकर कलकत्ता विश्वविद्यालय से सन् 1900 में प्रथम श्रेणी में इंट्रेंस परीक्षा पास की। इस परीक्षा में उन्हे सबसे अधिक अंक मिले। सारे देश में उनकी प्रसंशा हुई। सन् 1906 में उन्होंने एम o ए o की परीक्षा पास की और इसके बाद एम o एल o की परीक्षा भी। राजेंद्र बाबू अपनी सभी परीक्षाओ में सदा सर्वप्रथम होते रहे, यह उनकी शिक्षा और प्रतिभा की बहुमूल्य विशेषता है। सभी उनकी योग्यता और विद्वता पर मुग्ध थे। सारे देश में उनका नाम फैल गया । शिक्षा समाप्त कर लेने के बाद राजेंद्र बाबू ने पहले कलकत्ता में, फिर पटना होईकोर्ट में वकालत शुरू की। इससे उन्

ईसाई संप्रदाय और क्रिसमस

भिन्न- भिन्न देशों के ईसाई धर्म में समय - समय पर अनेक संप्रदायों का जन्म हुआ । फलतः क्रिसमस के आयोजन में विध्न - बाधाए आयी। 1644 ईसवी में इंग्लैंड के एक ईसाई संप्रदाय प्यूरिटन ने कानून बनाकर इसकी निंदा की और इसपर रोक लगा दी। 18वी शताब्दी में क्रिसमस ने एक नया रूप ग्रहण किया और इसे फिर से प्रकाश में आने को अवसर दिया। अब यह माना गया कि क्रिसमस न केवल आनंद उल्लास और मनोरंजन का साधन है, बल्कि गरीब लोगों को सेवा और उनके उत्थान में भी सहायक है। इसके द्वारा दिन - दुखियों की सेवा होनी चाहिए। इसके विपरित स्कॉटलैंड का प्रिजबीटरियन संप्रदाय क्रिसमस से उदासीन रहा। इस उतार - चढ़ाव के बावजूद सारे ईसाई संसार में 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्योहार अपने - अपने ढंग से मनाया जाता है। ईसाई समाज में इसका न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक महत्व भी है। सच तो यह है कि क्रिसमस ईसाइयों के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। क्रिसमस का त्योहार कहीं बच्चो की मंगलकामनाओं के लिए कहीं पारिवारिक सुख - शांति के लिए और कहीं जातीय भाईचारे के रूप में मनाया जाता है। हर ईसाई देश में क्रिसमस की अपनी विशेषताएं और प्रथाए है, अपने रीति -

नदी और वायु की तरह सहज होते चलें

ऐसा मान लेने में फायदा ही है कि सब भगवान का दिया और किया हुआ हैं। यह शिकायत अधिकांश लोगों की रहती है कि जब भी कोई काम करते है आसहज हो जाते है अशांति उतर आती है हमारे शास्त्रों में एक शब्द अच्छा आया है , निष्कमता मतलब जिस क्षण में जो भी कर रहे है सहज होकर करिए ।अगले क्षण क्या होगा , इसकी चिंता छोड़ अपने वर्तमान को क्षण में तोड़ दो।नदी की धारा और वायु का वेग , ये दो उदाहरण बड़े काम के हैं । नदी जब बहती है और राह में कहीं चट्टान आ जाती है तो वह शिकायत नहीं करती बल्कि उससे टकराकर दाएं- बाएं  से गुजर जाती है । वहीं नदी जब किसी मैदान से गुजरती है तो रेत पर होती हुई आराम से निकल जाती है अब यदि कोई नदी से पूंछे कि तुम चट्टान से तो टकराई , रेती से सहज निकल गई? तो वह कोई। प्रतिकार नहीं करते हुए बस यही उतर देंगी की जब जैसा हुआ , मै करती चली गई, ठीक ऐसा ही वायु के साथ है। जहां टकरना है, टकराई जहां खुला माहौल मिला वहा सहजता से बहती चली गई। एक भक्त भी ऐसे ही सहज होता है उसके लिए जिंदगी साईकोड्रमा की तरह है । बस अपना अभिनय करते जा रहे है क्योंकि भक्त जानता है कि ऊपर वाले ने हमे पहली सांस देते ही आखरी

एकता

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एक था किसान ।उसके चार लड़के थे। उन लड़कों में मेल नहीं था। वे आपस में बराबर लड़ते  - झगड़ते रहते थे। किसान लड़कों की यह हालत देख बहुत दुःखी होता और मन ही मन कुढ़ता रहता । एक दिन कि बात है कि किसान बहुत बीमार पड़ा और जब मृत्यु के बिल्कुल निकट पहुंच गया तब उसने अपने चारो लड़कों को बुलाया और मिल - जुलकर रहने कि शिक्षा दी। किन्तु  लड़कों पर उसकी बात का कोई प्रभाव न पड़ा। तब किसान ने लकड़ियों का गट्ठर से अलग कि गई । अब किसान ने अपने सभी लड़कों को बारी - बारी से बुलाया और लकड़ियों को अलग - अलग तोड़ने को कहा । सबने आसानी से ऐसा किया और लकड़ियों को  एक - एक कर टूटती गई। अब लड़कों की आंखे खुली । उन्होंने तभी समझा कि आपस में मिलकर रहने में एकता में कितना बल हैं।

महात्मा गांधी

महात्मा गांधी का परिचय देना सूर्य को दीया दिखाना है । वे हमारे देश के उन महापुरूषों में एक थे, जिनसे राष्ट्रीय जीवन का नया इतिहास तैयार हुआ है।  भारत कि स्वतंत्रता उनकी ही अथक सेवाओं को सुभ्फल है। हम उन्हे कैसे भूल सकते है? वे हमारे रोम - रोम में बसे है। भारत कि मिट्टी से उनकी आवाज आ रही है, सारा आकाश उनकी अमर वणियो से गूंज रहा है। वे राम , कृष्ण , बुद्ध , शंकर और तुलसी जैसे दिव्य पुरुषों कि तरह घर - घर में बसे है। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर  1869 ईसवी को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था । उनके पिताजी करमचंद गांधी राजकोट रियासत के दीवान थे। उनकी माता ने उनका लालन - पालन बड़े ही अच्छे ढंग से किया था। बालक गांधी पर, जिनका असली नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, उनकी धार्मिक माता का बड़ा गहरा प्रभाव था। वे आगे चलकर गांधीजी नाम से प्रसिद्ध हुए।  उनकी शिक्षा गांव के एक विद्यालय में शुरू हुई। 1887 में उन्होंने इंट्रेस कि परीक्षा पास की । वे पहले पढ़ने लिखने में बहुत तेज नहीं थे। उन्होंने स्वय लिखा है कि मैं बहुत झेपू लड़का था, मेरी किसी से मित्रता नहीं थी। स्कूल अमे अपने काम से काम रखत

प्रेरणदायक वचन

1 जिंदगी कितनी ही मुश्किल क्यों न लगे , हमेशा कुछ न कुछ ऐसा होता है, जिसमे आप सफलता पा सकते है। 2 क्रोध पाले रखना , गर्म कोयले को हाथ में रखे रहने जैसा है। इससे आप ही जलते है। 3 सम्मान मांगा नहीं जा सकता क्युकी मांगने वाले का सम्मान नहीं रह सकता। <script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-6898267753827799"      crossorigin="anonymous"></script>

रविवार की छुट्टी

हर सप्ताह रविवार छुट्टी का सुखद संदेश लेकर आता है और फिर चला जाता है। हम स्कूल में पढ़ते हो या कॉलेज में, ऑफिस में काम करते हो या कल - कारखानों में हम सभी रविवार की बाट जोहते है, क्योंकि इस दिन सभी तरह के काम करनेवाली को सप्ताह में एक दिन छुट्टी मिलती है। यह छुट्टी हमे आकाश के पक्षी कि तरह आजाद करती है। और हम अपने - आपमें हल्कापन और  बंधनहिन्नता का अनुभव करते है। छह दिनों तक लगातार काम करते - करते तन और मन थक जाते है। यह थकान दूर करने के लिए रविवार की छुट्टी नए जीवन की ताजगी लेकर आती है। हम अपने - आपमें एक विचित्र प्रकार के आनंद और खुशी का अनुभव करते है। वर्षो की बंदी जीवन बिताने के बाद जिस प्रकार एक कैदी जेल से बाहर आकर नए जीवन के आनंद की अनुभूति से भर उठता है और अपने को हर तरह आजाद पाता है, उसी तरह रविवार के दिन हम सभी विशेष प्रकार की खुशी से भर जाते है। रविवार स्कूल  - कॉलेज के छात्रों को बड़ा प्यारा दिन होता है । इस दिन विद्यार्थी अपने अध्ययन  - कक्ष की सफाई करते है  और किताब - कापियों की सुव्यवस्था में लगते है । सारे दिन मित्रो से मिलते - जुलने में बीत जाता है। शाम होते ही कुछ छात

मेहनत कर सकते है तो सबकुछ खरीद सकते है

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1 जब अच्छी चीजों में भ्रष्टाचार होता है , तभी बुरी चीजें पैदा होती है। 2 आजादी कोई भी हो , एक मिनट में छीनी नहीं जा सकती।  3 कमजोरी डर उदासी आदि अंधकार के श्रोत्र से ज्यादा कुछ नहीं है। 4 दुनिया के सबसे समझदार व्यक्ति की समझदारी को यदि सही दिशा न मिले तो वो जंगली पौधा बन जाता है। 5 खूबसूरती चींजो में नहीं होती, दिमाग में होती है। दिमाग की खूबसूरती ही चीजों को सुंदर बनाती है। 6 जो व्यक्ति हर तरह कि परिस्थिति में खुद को ढाल लेते है, हकीकत में वहीं सबसे ज्यादा खुश रहते है। 7 कई बार विश्वास लोगों  बाटता है और संदेह उन्हें साथ ले आता है। 8 अगर आप मेहनत कर सकते है तो आप में दुनिया की हर चीज खरीदने की ताकत है। 9 आपके और मेरे , हम दोनों के पास अभी वक्त है कि हम अपने व्यवहार को पुराने अनुभव से सबके लेकर सुधरे। <script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-6898267753827799"      crossorigin="anonymous"></script>

मेहनत कर सकते है तो सबकुछ खरीद सकते है

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1 जब अच्छी चीजों में भ्रष्टाचार होता है , तभी बुरी चीजें पैदा होती है। 2 आजादी कोई भी हो , एक मिनट में छीनी नहीं जा सकती।  3 कमजोरी डर उदासी आदि अंधकार के श्रोत्र से ज्यादा कुछ नहीं है। 4 दुनिया के सबसे समझदार व्यक्ति की समझदारी को यदि सही दिशा न मिले तो वो जंगली पौधा बन जाता है। 5 खूबसूरती चींजो में नहीं होती, दिमाग में होती है। दिमाग की खूबसूरती ही चीजों को सुंदर बनाती है। 6 जो व्यक्ति हर तरह कि परिस्थिति में खुद को ढाल लेते है, हकीकत में वहीं सबसे ज्यादा खुश रहते है। 7 कई बार विश्वास लोगों  बाटता है और संदेह उन्हें साथ ले आता है। 8 अगर आप मेहनत कर सकते है तो आप में दुनिया की हर चीज खरीदने की ताकत है। 9 आपके और मेरे , हम दोनों के पास अभी वक्त है कि हम अपने व्यवहार को पुराने अनुभव से सबके लेकर सुधरे। <script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-6898267753827799"      crossorigin="anonymous"></script>

रविवार की छुट्टी

हर सप्ताह रविवार छुट्टी का सुखद संदेश लेकर आता है और फिर चला जाता है। हम स्कूल में पढ़ते हो या कॉलेज में, ऑफिस में काम करते हो या कल - कारखानों में हम सभी रविवार की बाट जोहते है, क्योंकि इस दिन सभी तरह के काम करनेवाली को सप्ताह में एक दिन छुट्टी मिलती है। यह छुट्टी हमे आकाश के पक्षी कि तरह आजाद करती है। और हम अपने - आपमें हल्कापन और  बंधनहिन्नता का अनुभव करते है। छह दिनों तक लगातार काम करते - करते तन और मन थक जाते है। यह थकान दूर करने के लिए रविवार की छुट्टी नए जीवन की ताजगी लेकर आती है। हम अपने - आपमें एक विचित्र प्रकार के आनंद और खुशी का अनुभव करते है। वर्षो की बंदी जीवन बिताने के बाद जिस प्रकार एक कैदी जेल से बाहर आकर नए जीवन के आनंद की अनुभूति से भर उठता है और अपने को हर तरह आजाद पाता है, उसी तरह रविवार के दिन हम सभी विशेष प्रकार की खुशी से भर जाते है। रविवार स्कूल  - कॉलेज के छात्रों को बड़ा प्यारा दिन होता है । इस दिन विद्यार्थी अपने अध्ययन  - कक्ष की सफाई करते है  और किताब - कापियों की सुव्यवस्था में लगते है । सारे दिन मित्रो से मिलते - जुलने में बीत जाता है। शाम होते ही कुछ छात

प्रेरणदायक वचन

1 जिंदगी कितनी ही मुश्किल क्यों न लगे , हमेशा कुछ न कुछ ऐसा होता है, जिसमे आप सफलता पा सकते है। 2 क्रोध पाले रखना , गर्म कोयले को हाथ में रखे रहने जैसा है। इससे आप ही जलते है। 3 सम्मान मांगा नहीं जा सकता क्युकी मांगने वाले का सम्मान नहीं रह सकता। <script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-6898267753827799"      crossorigin="anonymous"></script>

महात्मा गांधी

महात्मा गांधी का परिचय देना सूर्य को दीया दिखाना है । वे हमारे देश के उन महापुरूषों में एक थे, जिनसे राष्ट्रीय जीवन का नया इतिहास तैयार हुआ है।  भारत कि स्वतंत्रता उनकी ही अथक सेवाओं को सुभ्फल है। हम उन्हे कैसे भूल सकते है? वे हमारे रोम - रोम में बसे है। भारत कि मिट्टी से उनकी आवाज आ रही है, सारा आकाश उनकी अमर वणियो से गूंज रहा है। वे राम , कृष्ण , बुद्ध , शंकर और तुलसी जैसे दिव्य पुरुषों कि तरह घर - घर में बसे है। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर  1869 ईसवी को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था । उनके पिताजी करमचंद गांधी राजकोट रियासत के दीवान थे। उनकी माता ने उनका लालन - पालन बड़े ही अच्छे ढंग से किया था। बालक गांधी पर, जिनका असली नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, उनकी धार्मिक माता का बड़ा गहरा प्रभाव था। वे आगे चलकर गांधीजी नाम से प्रसिद्ध हुए।  उनकी शिक्षा गांव के एक विद्यालय में शुरू हुई। 1887 में उन्होंने इंट्रेस कि परीक्षा पास की । वे पहले पढ़ने लिखने में बहुत तेज नहीं थे। उन्होंने स्वय लिखा है कि मैं बहुत झेपू लड़का था, मेरी किसी से मित्रता नहीं थी। स्कूल अमे अपने काम से काम रखत

एकता

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एक था किसान ।उसके चार लड़के थे। उन लड़कों में मेल नहीं था। वे आपस में बराबर लड़ते  - झगड़ते रहते थे। किसान लड़कों की यह हालत देख बहुत दुःखी होता और मन ही मन कुढ़ता रहता । एक दिन कि बात है कि किसान बहुत बीमार पड़ा और जब मृत्यु के बिल्कुल निकट पहुंच गया तब उसने अपने चारो लड़कों को बुलाया और मिल - जुलकर रहने कि शिक्षा दी। किन्तु  लड़कों पर उसकी बात का कोई प्रभाव न पड़ा। तब किसान ने लकड़ियों का गट्ठर से अलग कि गई । अब किसान ने अपने सभी लड़कों को बारी - बारी से बुलाया और लकड़ियों को अलग - अलग तोड़ने को कहा । सबने आसानी से ऐसा किया और लकड़ियों को  एक - एक कर टूटती गई। अब लड़कों की आंखे खुली । उन्होंने तभी समझा कि आपस में मिलकर रहने में एकता में कितना बल हैं।

नदी और वायु की तरह सहज होते चलें

ऐसा मान लेने में फायदा ही है कि सब भगवान का दिया और किया हुआ हैं। यह शिकायत अधिकांश लोगों की रहती है कि जब भी कोई काम करते है आसहज हो जाते है अशांति उतर आती है हमारे शास्त्रों में एक शब्द अच्छा आया है , निष्कमता मतलब जिस क्षण में जो भी कर रहे है सहज होकर करिए ।अगले क्षण क्या होगा , इसकी चिंता छोड़ अपने वर्तमान को क्षण में तोड़ दो।नदी की धारा और वायु का वेग , ये दो उदाहरण बड़े काम के हैं । नदी जब बहती है और राह में कहीं चट्टान आ जाती है तो वह शिकायत नहीं करती बल्कि उससे टकराकर दाएं- बाएं  से गुजर जाती है । वहीं नदी जब किसी मैदान से गुजरती है तो रेत पर होती हुई आराम से निकल जाती है अब यदि कोई नदी से पूंछे कि तुम चट्टान से तो टकराई , रेती से सहज निकल गई? तो वह कोई। प्रतिकार नहीं करते हुए बस यही उतर देंगी की जब जैसा हुआ , मै करती चली गई, ठीक ऐसा ही वायु के साथ है। जहां टकरना है, टकराई जहां खुला माहौल मिला वहा सहजता से बहती चली गई। एक भक्त भी ऐसे ही सहज होता है उसके लिए जिंदगी साईकोड्रमा की तरह है । बस अपना अभिनय करते जा रहे है क्योंकि भक्त जानता है कि ऊपर वाले ने हमे पहली सांस देते ही आखरी

आत्मा की तृप्ति के लिए योग है बेहतर उपाय

टेक्नोलॉजी सुख सुविधाए तो दे देती है पर कहीं हमारी शांति को आहत भी करती है । यंत्रों ने एक तरह से मनुष्य कि गतिविधियों पर कब्जा है कर लिया है । जो काम आदमी घंटो में कर पाता था वह मशीन से मिनटों में होने लगा है आने वाले पांच दस साल में टेक्नोलॉजी अपने ढंग से पसर चुकी होगी और मनुष्य वक्त के मामले में खाली हो जाएगा । यही से जिंदगी में एक नए ही तरह का खतरा आएगा क्युकी समय काटने के लिए वह खुद को कटेगा। पिछले दिनों सड़क यात्रा के दौरान मैंने एक दुकान पर पंचर हुई कार के टायर को निकालने के लिए एक मशीन देंखी। दुकान वाले ने मशीन लगाई और बटन दबाते ही पहिया इतनी तेजी से घुमा कि तुरंत नट बोल्ट खुल गए चक्का बाहर आ गया ।पहले इसी काम में आधा घंटा तो लगता ही था। यह एक छोटा सा उदाहरण मात्र है हमारा विषय यह है कि जब इन सुख सुविधाओं को शरीर भोगेगा तो वह टूटेगा भी। शरीर का स्वभाव है मिल जाए तो बावला हो जाना, न मिले तो नैराश्य ने डूब जाना। इस बदलते दौर में टेक्नीक जो सुविधाए दे रही है, उसके बावजूद हम अशांत इसलिए रहेंगे की हमने आत्मा कि तृप्ति के लिए कुछ नहीं किया। समय रहते आत्मा कि तृप्ति के लिए भी कुछ कर ल

आत्मा की तृप्ति के लिए योग है बेहतर उपाय

टेक्नोलॉजी सुख सुविधाए तो दे देती है पर कहीं हमारी शांति को आहत भी करती है । यंत्रों ने एक तरह से मनुष्य कि गतिविधियों पर कब्जा है कर लिया है । जो काम आदमी घंटो में कर पाता था वह मशीन से मिनटों में होने लगा है आने वाले पांच दस साल में टेक्नोलॉजी अपने ढंग से पसर चुकी होगी और मनुष्य वक्त के मामले में खाली हो जाएगा । यही से जिंदगी में एक नए ही तरह का खतरा आएगा क्युकी समय काटने के लिए वह खुद को कटेगा। पिछले दिनों सड़क यात्रा के दौरान मैंने एक दुकान पर पंचर हुई कार के टायर को निकालने के लिए एक मशीन देंखी। दुकान वाले ने मशीन लगाई और बटन दबाते ही पहिया इतनी तेजी से घुमा कि तुरंत नट बोल्ट खुल गए चक्का बाहर आ गया ।पहले इसी काम में आधा घंटा तो लगता ही था। यह एक छोटा सा उदाहरण मात्र है हमारा विषय यह है कि जब इन सुख सुविधाओं को शरीर भोगेगा तो वह टूटेगा भी। शरीर का स्वभाव है मिल जाए तो बावला हो जाना, न मिले तो नैराश्य ने डूब जाना। इस बदलते दौर में टेक्नीक जो सुविधाए दे रही है, उसके बावजूद हम अशांत इसलिए रहेंगे की हमने आत्मा कि तृप्ति के लिए कुछ नहीं किया। समय रहते आत्मा कि तृप्ति के लिए भी कुछ कर ल

सतोगुन बढ़ाना ही राष्ट्र व समाज हित में है

ऐसा लगता है अब तो कुकर्म बहुत उचाई पर पहुंच गए है। लोगों के बुरे काम पूनम - अमावस्या में समा गए । रात- दिन सुबह शाम फिजा में तो जैसे वासना घुल गई है । इन्सान के कारनामे ही इंसानियत को शर्मसार करने लगे है। एक मूक बघिर सगी मां से बेटा दुष्कर्म कर जाए , तो इसे कौनसा युग कहेगें । कलियुग के लक्ष्मण बड़े डरावने होते है और डर लगने भी लगा है। कोरोना रूपी बीमारी तो जैसे आयी है। एक दिन चली भी जाएगी, लेकिन इस वस्नारूपी बीमारी का क्या होगा? अब तो sadhu- संतों की इस बात पर ध्यान दिया जाए कि मनुष्य को अपने भीतर तमोगुण को कम करना पड़ेगा सतोगुण रजोगुण को कम करना पड़ेगा।सतोगुण रजोगुण और तमोगुण , हम इस ट्रिगुनबृती से बने है और कोई भी एक गुण कभी पूरी तरह समाप्त नहीं होगा। मामला कम और अधिक का ही रहेगा । जिन लोगों के तमोगुण बढ़ेंगे , वो जीते - जी मरे हुए माने जाएंगे । ऐसे ही एक मरे हुए इन्सान ने जिंदगी के साथ - साथ पूरी इंसानियत को शर्मसार कर दिया। कोई कहां तक गिर सकता है कि पतन कि अंतिम परत भी नजर नहीं आ रही। इस समाचार को जिसने सुना - पढ़ा , लज्जा और ग्लानि में डूब गया। अब सबक लेने वाली बात यह है कि घर -

सतोगुन बढ़ाना ही राष्ट्र व समाज हित में है

ऐसा लगता है अब तो कुकर्म बहुत उचाई पर पहुंच गए है। लोगों के बुरे काम पूनम - अमावस्या में समा गए । रात- दिन सुबह शाम फिजा में तो जैसे वासना घुल गई है । इन्सान के कारनामे ही इंसानियत को शर्मसार करने लगे है। एक मूक बघिर सगी मां से बेटा दुष्कर्म कर जाए , तो इसे कौनसा युग कहेगें । कलियुग के लक्ष्मण बड़े डरावने होते है और डर लगने भी लगा है। कोरोना रूपी बीमारी तो जैसे आयी है। एक दिन चली भी जाएगी, लेकिन इस वस्नारूपी बीमारी का क्या होगा? अब तो sadhu- संतों की इस बात पर ध्यान दिया जाए कि मनुष्य को अपने भीतर तमोगुण को कम करना पड़ेगा सतोगुण रजोगुण को कम करना पड़ेगा।सतोगुण रजोगुण और तमोगुण , हम इस ट्रिगुनबृती से बने है और कोई भी एक गुण कभी पूरी तरह समाप्त नहीं होगा। मामला कम और अधिक का ही रहेगा । जिन लोगों के तमोगुण बढ़ेंगे , वो जीते - जी मरे हुए माने जाएंगे । ऐसे ही एक मरे हुए इन्सान ने जिंदगी के साथ - साथ पूरी इंसानियत को शर्मसार कर दिया। कोई कहां तक गिर सकता है कि पतन कि अंतिम परत भी नजर नहीं आ रही। इस समाचार को जिसने सुना - पढ़ा , लज्जा और ग्लानि में डूब गया। अब सबक लेने वाली बात यह है कि घर -

विधानसभा शेखपुरा ,बिहार

  विधानसभा शेखपुरा ,बिहार  वर्तमान शेखपुरा विधानसभा के विधायक श्री विजय कुमार (विजय सम्राट ) है। शेखपुरा जिला का निर्माण 31 जुलाई 1984 ई को किया गया शेखपुरा जिला के निर्माण में मुख्य भूमिका श्री Rajo singh  को दिया जाता है. वे इस विधानसभा के विधायक भी रह चुके है , वर्तमान समय में श्री विजय सम्राट  रणधीर कुमार सोनी को 6115 मतो से पराजित कर इस विधानसभा क्षेत्र के प्रतिनिधि के रूप में जाने जाते है, जनसंख्या की दृष्टि से शेखपुरा बिहार का सबसे छोटा जिला माना जाता हैं, वर्तमान समय में इनायत खान जिलाधिकारी के रूप में जाने जाते है, शेखपुरा जिला की स्थापना 31 जुलाई 1994 को मुंगेर जिला से अलग हो कर बना श्री राजो सिंह को शेखपुरा जिला बनाने का श्रेय जाता है ,उस समय वे विधायक तथा कुछ सालों के बाद बेगुसराई लोकसभा क्षेत्र होने के नाते वो सांसद चुने जाने के बाद उनके द्वारा बनाया गया | जिले में बहुत अत्याधुनिक सुविधाए होने साथ -साथ आर्थिक स्थिति बेहद होने के कारण ,इस जिले को बनाया गया उनका मानना था कि यदि जिले का निर्माण हो जाता है तो सभी सुविधा उपलब्ध हो जाएगी ,इसी को ध्यान में रखकर और श्री राजो सिंह

Sheikhpura विधानसभा

 वर्तमान शेखपुरा विधानसभा के विधायक श्री विजय कुमार (विजय सम्राट ) है। शेखपुरा जिला का निर्माण 31 जुलाई 1984 ई को किया गया शेखपुरा जिला के निर्माण में मुख्य भूमिका श्री Rajo singh  को दिया जाता है. वे इस विधानसभा के विधायक भी रह चुके है , वर्तमान समय में श्री विजय सम्राट  रणधीर कुमार सोनी को 6115 मतो से पराजित कर इस विधानसभा क्षेत्र के प्रतिनिधि के रूप में जाने जाते है, जनसंख्या की दृष्टि से शेखपुरा बिहार का सबसे छोटा जिला माना जाता हैं, वर्तमान समय में इनायत खान जिलाधिकारी के रूप में जाने जाते है,

राम जी कि तरह रखें निर्णय लेने की क्षमता

पुराने लोग कहा करते थे परिवार की गतिविधियों के केंद्र में परमात्मा को जरूर रखना चाहिए । इसका सीधा मतलब है परिवार में जो भी निर्णय लिए जाए , जो जीवनशैली हो, उसके केंद्र में भगवान होना चाहिए  परिवार के केंद्र में परमात्मा होने का अर्थ है शांति, प्रेम , अपनापन और करुणा । लंका में युद्ध में अशोक वाटिका में सीताजी को त्रिजटा रणक्षेत्र का दृश्य बता रही थी रावण के नहीं मरने की बात सुन जब सीताजी उदास हो गई तो त्रिजटा ने उन्हें समझाते हुए कहा, रामजी यदि एक बाण भी रावण के ह्रदय में मारेंगे तो वह मर जाएगा। लेकिन वे इसलिए नहीं मारते की यही के ह्रदय बस जानकी जानकी उर मम बास है। मम उदर भुवन अनेक लागत बाण सब कर नास है और आपके हृदय में वे स्वयं बसे है और फिर उनके भीतर तो सारा संसार बसा हुआ है। ऐसे में यदि रावण को मारेंगे तो तीन पूरे संसार को लगेगा , नुकसान सारी मानवता का होगा। यहां यही बड़े सूत्र को बात है कि परमात्मा के निर्णय कितने गहरे होते है । दुनियाभर की चिंता रहती है उन्हें हमे विचार करना चाहिए कि जब ghar- परिवार में कोई निर्णय ले तो इस बात का पूरा ध्यान रखे की इससे प्रत्येक सदस्य कहां तक प्रभा

महत्वपूर्ण विटामिन का रासायनिक नाम

विटामिन A- रेटिनॉल विटामिन B 1- थायमिन विटामिन B 2- राइबोफ्लेविन विटामिन B 3- नियासिन विटामिन B 6- पैरोडोक्सिं विटामिन B 7- बायोटिन विटामिन B 12- सैनोकोबलमिं विटामिन C- स्कोर्विक अम्मल विटामिन D- कैलसिफरोल विटामिन E- टोकोफरोल विटामिन K- फिलोक्युनों

जवाहरलाल नेहरू

पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। उन्होंने लगभग 17 वर्ष प्रधानमंत्री के पद पर रहकर देश की सेवा की। उनकी देखरेख में भारत की उन्नति हुई। विदेशो में भी हमारे देश की धाक जमी। वे राजनेता थे। नेहरूजी का जन्म 14 नवंबर 1889 को प्रयाग में हुआ था। उनके पिता पं o मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद के एक नामी वकील थे, जिनपर पश्मी सभ्यता का प्रभाव था। शुरू में जवाहरलाल नेहरू कि देखरेख का सारा प्रबंध एफ o टी o ब्रुक्स नामक एक अंग्रेज़ महिला द्वारा हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर हुई। सन् 1905 में नेहरूजी 15 वर्ष की अवस्था में इंग्लैंड गए। वहां उनका नाम सुप्रसिद्ध हैरो पब्लिक स्कूल में लिखाया गया। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से विज्ञान लेकर बी o एस o सी o परीक्षा पास की। फिर उसी विश्वविद्यालय  से सन् 1910 में एम o ए o किया। सन् 1912 में बैरिस्टरी की परीक्षा पास कर वे भारत लौटे । इस तरह नेहरूजी ने सात वर्ष विदेश में शिक्षा पाई । उनके मन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा। भारत लौटने पर उन्होंने बैरिस्टरी शुरू की। सन् 1916 में उनका विवाह श्रीमती कमला नेहरू से हुआ।  नेहरूजी एक सच्चे भारतीय थे

जवाहरलाल नेहरू

पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। उन्होंने लगभग 17 वर्ष प्रधानमंत्री के पद पर रहकर देश की सेवा की। उनकी देखरेख में भारत की उन्नति हुई। विदेशो में भी हमारे देश की धाक जमी। वे राजनेता थे। नेहरूजी का जन्म 14 नवंबर 1889 को प्रयाग में हुआ था। उनके पिता पं o मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद के एक नामी वकील थे, जिनपर पश्मी सभ्यता का प्रभाव था। शुरू में जवाहरलाल नेहरू कि देखरेख का सारा प्रबंध एफ o टी o ब्रुक्स नामक एक अंग्रेज़ महिला द्वारा हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर हुई। सन् 1905 में नेहरूजी 15 वर्ष की अवस्था में इंग्लैंड गए। वहां उनका नाम सुप्रसिद्ध हैरो पब्लिक स्कूल में लिखाया गया। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से विज्ञान लेकर बी o एस o सी o परीक्षा पास की। फिर उसी विश्वविद्यालय  से सन् 1910 में एम o ए o किया। सन् 1912 में बैरिस्टरी की परीक्षा पास कर वे भारत लौटे । इस तरह नेहरूजी ने सात वर्ष विदेश में शिक्षा पाई । उनके मन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा। भारत लौटने पर उन्होंने बैरिस्टरी शुरू की। सन् 1916 में उनका विवाह श्रीमती कमला नेहरू से हुआ।  नेहरूजी एक सच्चे भारतीय थे

महत्वपूर्ण विटामिन का रासायनिक नाम

विटामिन A- रेटिनॉल विटामिन B 1- थायमिन विटामिन B 2- राइबोफ्लेविन विटामिन B 3- नियासिन विटामिन B 6- पैरोडोक्सिं विटामिन B 7- बायोटिन विटामिन B 12- सैनोकोबलमिं विटामिन C- स्कोर्विक अम्मल विटामिन D- कैलसिफरोल विटामिन E- टोकोफरोल विटामिन K- फिलोक्युनों

राम जी कि तरह रखें निर्णय लेने की क्षमता

पुराने लोग कहा करते थे परिवार की गतिविधियों के केंद्र में परमात्मा को जरूर रखना चाहिए । इसका सीधा मतलब है परिवार में जो भी निर्णय लिए जाए , जो जीवनशैली हो, उसके केंद्र में भगवान होना चाहिए  परिवार के केंद्र में परमात्मा होने का अर्थ है शांति, प्रेम , अपनापन और करुणा । लंका में युद्ध में अशोक वाटिका में सीताजी को त्रिजटा रणक्षेत्र का दृश्य बता रही थी रावण के नहीं मरने की बात सुन जब सीताजी उदास हो गई तो त्रिजटा ने उन्हें समझाते हुए कहा, रामजी यदि एक बाण भी रावण के ह्रदय में मारेंगे तो वह मर जाएगा। लेकिन वे इसलिए नहीं मारते की यही के ह्रदय बस जानकी जानकी उर मम बास है। मम उदर भुवन अनेक लागत बाण सब कर नास है और आपके हृदय में वे स्वयं बसे है और फिर उनके भीतर तो सारा संसार बसा हुआ है। ऐसे में यदि रावण को मारेंगे तो तीन पूरे संसार को लगेगा , नुकसान सारी मानवता का होगा। यहां यही बड़े सूत्र को बात है कि परमात्मा के निर्णय कितने गहरे होते है । दुनियाभर की चिंता रहती है उन्हें हमे विचार करना चाहिए कि जब ghar- परिवार में कोई निर्णय ले तो इस बात का पूरा ध्यान रखे की इससे प्रत्येक सदस्य कहां तक प्रभा