शक्ति का इस्तेमाल न करने की महाशक्ति हैं
सोमवार को बर्बर और भयानक घटना के एक वायरल वीडियो ने हम सभी को चौका दिया। मध्यप्रदेश के गुना में एक गर्ववती महिला को उसके पति के परिवार के एक सदस्य को कंधे पर बैठकर तीन किलोमीटर तक ऊबड खाबड़ रास्ते पर चलने के लिए मजबूर किया गया । हांथो में लाठियां और क्रिकेट बैट लेकर ग्रामीण साथ चल रहे थे। कुछ को महिला की बेइज्जती में आनंद आ रहा था तो कुछ उसे लाठियां और बैट से मार भी रहे थे।
ऐसा शारीरिक अपमान शायद विकसित शहरों में दुर्लभ है लेकिन विकसित देशों समेत ज्यादातर मेट्रो शहरों में महिलाएं आज भी एक अलग प्रकार का अपमान सहती है , जिसकी ओर शायद दुनिया का ध्यान नहीं जाता ।
मै ऐसी कई महिलाओ को जानता हूं जो पुरषों और महिलाओ के साथ समान व्यवहार करने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियो में काम करती है। लेकिन उनका अनकहा असंतोष यह है कि उन्हें मीटिंग में बोलने का प्रयाप्त समय नहीं मिलता । समय देने में इस भेदभाव के कारण कहीं दूर बैठे बोर्ड ऑफ डायरेक्टर से अपनी बात कहने के लिए उन्हें समय चुराना पड़ता है, जिससे कभी - कभी नकारात्मक छवि बनती है।
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