1950 में दुनिया की आबादी 260 करोड़ थी | आज लगभग 795 करोड़ लोग पृथ्वी के संसाधनों का उपयोग कर रहे है | 2050 में आबादी 980 करोड़ होने का अनुमान है| दुनिया की आबादी में जुड़ रहा हर नया व्यक्ति एक नया उपभोगता है | इस आबादी के लिए भोजन पोषण की जरूरतों को पूरा करना एक चुनौती है , लेकिन कई छोटे -छोटे उपायों को अपनाया जाए तो यह संभव है | इसमें हर व्यक्ति सहभागी बन सकती है इसके लिए उसे आदतों में थोडा बदलाव करना होगा | जानते है हमारे सामने क्या चुनौतियाँ है और इनका सामना किस तरह किया जा सकता है |
अब भूमि का उपयोग नहीं बदलना है
बढती आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए लगातार जंगलों को काटकर खेत बनाया गया |दुनिया के बर्फ मुक्त क्षेत्र में से इन्सान 194 लाख वर्ग मील भूमि का उपयोग कृषि के लिए बदल चूका है | 75 लाख वर्ग मील भूमि को उसने अन्य उपयोग के लिए बदला | यह कुल भूमि का 53 % हिस्सा है इसका बड़ा उपयोग मवेशियों को पालने लकड़ी ताड़ के तेल के उत्पादन में हुआ |
85 करोड़ के सामने भूख का संकट
दुनिया में 85 करोड़ लोगों के सामने आज भी भूख का संकट है | अब हम भूमि का उपयोग बदलकर उत्पादन बढ़ाने का जोखिम नहीं ले सकते | 2050 में हमें लगभग 2 अरब अधिक लोगों का पेट भरना होगा , जिसके लिए हमें 56% अधिक भोजन की आवश्यकता होगी |
कृषि की नयी तकनीकों को अपनाना होगा
1960 के दशक में शुरू हुई हरित क्रांति के बाद दुनिया में फसलों की बेहतर किस्मे सामने आई | हमने fartilizar सिच्चाई और मशीनों का अधिक उपयोग किया |एशिया और लैटिन अमेरिका में पैदावार में वृद्धि हुई लेकिन इससे पर्यावरण को नुकसान हुआ |
जहां उपज कम ,वहां फोकस जरुरी
दुनिया को अब उन क्षेत्रों पर ध्यान देना होगा जहाँ कृषि उत्पादन कम है | जैसे अफ्रीका ,लैटिन अमेरिका और पूर्वी यूरोप | यहां बेहतर कृषि तकनीक के साथ उत्पादन बढाया जा रहा है उच्च तकनीक ,सटीक प्रणालियों के साथ -साथ जैविक खेती का उपयोग करना होगा |
कम पानी वाली उपज की ओर बढ़ना होगा
आज दुनिया में 100 करोड़ से अधिक लोगों की स्वच्छ पानी तक पहुँच नहीं है और 270 करोड़ लोगों को साल में कम से कम एक महीने पानी की कमी का अनुभव होता है |2025 तक दुनिया की दो -तिहाई आबादी के सामने भीषण जल संकट होगा | हरित क्रांति और औधोगीकरण ने पानी ,रसायनों का उपयोग बड़ी मात्रा में बढाया है | जल स्रोतों में पहुँच रहे रासायनिक पदार्थ भी एक चुनौती बनते जा रहे है |
70 % अनाज पशुओं के लिए
जैविक खेती को अपनाकर पानी और रसायनों के उपयोग को बहुत हद तक कम कर सकते है |किसानों को कम पानी में अधिक उपज के तरीके अपनाने होगें , क्योकि दुनिया में उपलब्ध मीठे पानी में से 70 से 80 % हिस्सा सिर्फ खेतों में सिच्चाई करने में जा रहा है |
पशुओं के लिए अन्य भोजन तलाशना

दुनिया की 55 % फसल ही लोगों की भूख मिटने में जा रही है | मक्का ,सोयाबीन ज्वार और जौ जैसा अनाज बड़ी मात्रा में पशुओं को खिलाया जा रहा है | इस उपयोग को ही बदल दिया जाए तो दुनिया के लोगों के लिए भोजन की पूर्ति करने के लिए अनाज बचने लगेगा |
36% अनाज पशुओं के लिए
दुनिया में अनाज की जितनी उपज हो रही है उसमे से 36 % हिस्सा पशुओं को खिलाने ,जैव ईंधन और औधोगिक उत्पादों (9%)में जा रहा है |
जबकि 100 कैलोरी अनाज जानवरों को खिलाते है तो बदले में 40 नई कैलोरी दूध ,22 कैलोरी अंडे ,12 कैलोरी चिकन के रूप में मिलती है |
30 साल में 2 अरब आबादी बढ़ेगी
भोजन को नष्ट होने से बचाना सबसे जरुरी

दुनिया में बड़ी मात्रा में भोजन रोज बर्बाद हो रहा है | अमीर देशों में घरों ,रेस्तरां और सुपरमार्केट में भोजन कचरे में जाता है ,तो गरीब देशों में अनाज के भण्डारण और परिवहन की सुविधाओं की कमी की वजह से अनाज नष्ट हो जाता है | ऐसे में थोडा -थोडा सर्व करना और थाली में बचा हुआ नहीं छोड़ना जैसे उपाय भी भोजन बचाने में उपयोगी हो सकते है |
50% भोजन नष्ट हो जाता है
विश्व में भोजन से मिलने वाली कैलोरी का 25 % और कुल भोजन का 50% तक हिस्सा उपभोग किये जाने से पहले ही नष्ट या बर्बाद हो जाता है | विकसित देशों में उपभोगता की जागरूकता से तो गरीव और विकासशील देशों में सरकारें और विश्व समुदाय इसे रोक सकते है |
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