राम जी कि तरह रखें निर्णय लेने की क्षमता

पुराने लोग कहा करते थे परिवार की गतिविधियों के केंद्र में परमात्मा को जरूर रखना चाहिए । इसका सीधा मतलब है परिवार में जो भी निर्णय लिए जाए , जो जीवनशैली हो, उसके केंद्र में भगवान होना चाहिए  परिवार के केंद्र में परमात्मा होने का अर्थ है शांति, प्रेम , अपनापन और करुणा । लंका में युद्ध में अशोक वाटिका में सीताजी को त्रिजटा रणक्षेत्र का दृश्य बता रही थी रावण के नहीं मरने की बात सुन जब सीताजी उदास हो गई तो त्रिजटा ने उन्हें समझाते हुए कहा, रामजी यदि एक बाण भी रावण के ह्रदय में मारेंगे तो वह मर जाएगा। लेकिन वे इसलिए नहीं मारते की यही के ह्रदय बस जानकी जानकी उर मम बास है। मम उदर भुवन अनेक लागत बाण सब कर नास है और आपके हृदय में वे स्वयं बसे है और फिर उनके भीतर तो सारा संसार बसा हुआ है। ऐसे में यदि रावण को मारेंगे तो तीन पूरे संसार को लगेगा , नुकसान सारी मानवता का होगा। यहां यही बड़े सूत्र को बात है कि परमात्मा के निर्णय कितने गहरे होते है । दुनियाभर की चिंता रहती है उन्हें हमे विचार करना चाहिए कि जब ghar- परिवार में कोई निर्णय ले तो इस बात का पूरा ध्यान रखे की इससे प्रत्येक सदस्य कहां तक प्रभावित होगा, किसका क्या नुकसान , क्या नफा होगा।
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