सिर्फ कम नींद ही ज्यादा नींद भी मोटापा ,हार्ट रोग और अवसाद का कारण




ज्यादा नींद से बीमारी बढती है आय घटती है

नींद से न केवल सोचने और समझने की क्षमता प्रभावित होती है बल्कि शारीरिक , भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा पड़ता है | अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रयाप्त नींद बहुत जरुरी है लकिन यही नींद जब जरुरत से ज्यादा होने लगती है तो फायदा पहुँचाने की जगह स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाने लगती है | जैसे कम नींद से अवसाद मोटापा हर्दय रोग जैसी बिमारियों का खतरा बढ़ता है वैसे ही अधिक नींद भी इन बिमारियों का कारन बनती है |इसके आलावा व्यक्ति की प्रोडक्टविटी भी घटती है , जिसका असर उसकी आय पर पड़ता है पर यही नींद को तय कैसे करे ? क्योकि हर व्यक्ति की नींद की जरुरत उसके श्रम और स्वास्थ्य के अनुसार अलग -अलग होती है | नेशनल स्लीप फाउंडेशन के विशेषज्ञों ने शोध में पाया कि 18 से 64 साल के व्यक्ति सामान्य रूप से 7 से 9 घंटे की नींद के बाद खुद को तरोताजा महसूस करने लगते है | रोज 9 घंटे से अधिक की नींद को तय सीमा से अधिक माना गया |हालाँकि सप्ताह में कभी -कभी 9 घंटे या उससे अधिक सोना नुकसानदायक नहीं है |

अधिक नींद का कारण

इसे हाइपर सोमनिया कहते है | इसमें व्यक्ति को दिन भर नींद आती रहती है|पीड़ित को कम से कम 10 से 12 घंटे की नींद की जरुरत होती है | इसके आलावा ओब्स्त्रिकटिव स्लीप एपनिया की वजह से भी व्यक्ति को अधिक नींद की जरुरत पड़ती है |

कितनी नींद जरुरी

अमेरिका के सेंटर पर डिजीज कण्ट्रोल एंड प्रेवेंशन के अनुसार नींद मुख्य रूप से व्यक्ति की उम्र , उसकी एक्टिविटी के स्तर और सेहत पर निर्भर करती है |आमतौर पर विशेषज्ञ 18 से 64 साल के लोगों के लिए 7 से 9 घंटे की नींद प्रयाप्त मानते है |

इससे कैसे बचे : दोपहर में 30 मिनट से ज्यादा न सोएं

नींद की कुल चार स्टेज होती है चौथी स्टेज को रेम स्लीप कहते है |REM यानी rapid Eye Movement | नींद की इस अवस्था में मस्तिक दिन भर की शॉट टर्म मेमोरीज को लॉन्ग टर्म मेमोरी बैंक में एकत्रित करता है | दिन में 30 मिनट से ज्यादा सोने पर नींद REM स्टेज में पहुँच जाती है | इससे रात में नींद देर से आने या कम आने की शिकायत बढती है |

अधिक नींद कितनी नुकसानदायक

डायबिटीज

अधिक सोने से ग्लूकोज का स्तर आसामान्य होता है | इन्सुलिन सेंसिटिविटी घटती है| टाइप -2 डायबिटीज का खतरा बढता है |

मोटापा

जयादा सोने से बायोलौजीकल क्लॉक प्रभावित होती है |आवश्यक हार्मोन और केमिकल रिलीज नहीं हो पते , जिससे मोटापा बढ़ता है |

अवसाद

दिन के महत्वपूर्ण समय को खोने प्रतिस्पर्धा में पिछड़ने , चीजों को समय से न करने जैसी भावना पैदा होती है | इससे डिप्रेशन पैदा होता है |

हर्दय रोग

अधिक समय तक सोने से रक्त प्रवाह कमजोर पड़ता है , जिससे हर्दय की धमनियां कमजोर होती है | हर्दय सम्बंधित रोग बढ़ते है |

इम्युनिटी बढ़ाने ,एजिंग घटाने वाले हार्मोन मेलाटोनिन को जानिए

खाने में क्या अच्छा लगेगा भावनात्मक रूप से आप कैसा महसूस करेंगे ,यह सब हार्मोन मेलाटोनिन तय करता है | यह वह हार्मोन है जिसे मस्तिस्क में पाई जाने वाली पीनल ग्रंथिया स्श्रवित करती है | यह सरकेदियन रिदम को नियमित करने में मदद करता है | इसके आलावा मेलाटोनिन आँतों के ठीक ढंग से काम करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है \आंतों का मस्तिष्क से सीधा सम्बन्ध है |विशेषज्ञो के अनुसार यदि हमारी आंते बेहतर तरीके से काम करती है तो मेलाटोनिन हार्मोन का श्राव अच्छी तरह से होता है |

शारीर को कैसे प्रभावित करता है मेलाटोनिन

इम्यून सिस्टम -कुछ मेलाटोनिन आंतो में बनता है जो हमारे इम्यून सिस्टम से सीधा सम्बंधित होता है |

वजन - वजन और भूख को नियंत्रित करने वाले हार्मोन लेप्टिन के सही ढंग से काम करने के लिए मेलाटोनिन जरुरी है |

इन्सुलिन सोसिटीवीटी-ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में यह मदद करता है |

एजिंग -प्राकृतिक कारणों से शरीर में होने वाली इन्फ्लामेशन को कम करने में मदद करता है |जिससे एजिंग की प्रक्रिया धीमी पड़ती है |

मेलाटोनिन का स्तर ऐसे बढ़ाये

सूरज कि रोशनी -सूरज कि रोशनी न्यूरोट्रांसमीटर सेरोटोनिन उत्पन्न करती है | यह मेलाटोनिन के बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है |

केला ,मूंगफली -केला और मूंगफली में अमीनो एसिड triptophen पाया जाता है | यह सेरोटोनिन के निर्माण में मदद करता है |

नहाने के लिए गुनगुना पानी -गुनगुने पानी से शारीर रिलैक्स मोड़ में आ जाता है इससे कार्टिसोल का स्तर घटता है मेलाटोनिन का स्तर बढ़ता है |

ब्लू लाइट एक्सपोजर घटाए -रात में 2 घंटे भी ब्लू लाइट का एक्सपोजर मेलाटोनिन के उत्पादन को घटा डेटा है |ऐसे में रात में गैजेट का उपयोग घटाए |

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