क्या बच्चों को सब बता रहे है
क्या बच्चों को सब बता रहे है
बच्चे पढने लिखने में होशियार बोल चाल में चंचल और खेल -कूद में सक्रीय रहते है |इसके बावजूद उनमे दुनियादारी की समझ और अनुभव की कमी होती है |इसलिए बहुत -सी ऐसी बातें है जो उनसे छुपानी जरुरी होती है |कम से कम किशोरावस्था में पहुँचने से पहले उनसे कुछ बातें साझा करने से बचना चाहिए |यह गोपनीयता बच्चे और अभिभावक दोनों के हित में है |
वित्त से जुडी समस्याए
घर में अगर किसी प्रकार की समस्या चल रही है तो इसका जिक्र बार-बार बच्चों के सामने न करें | इससे उनके मन पर एक अंजाना -सा बोझ आ जाएंगा और तनाव भी बढ़ सकता है |जमींन -जायदाद के झगड़े या पैसों की तंगी के मामले को भी बच्चों के साथ साझा नहीं करना चाहिए | इससे बच्चे का ध्यान भटकेगा घर का माहौल चिंता बढ़ाएगा ,जिसका बुरा असर इसकी पढाई -लिखाई पर पड़ेगा |
रिश्तेदारों के झगड़े
बच्चों के सामने कभी भी अपने नकारात्मक बातें न करे |अगर आपकी किसी व्यक्ति से नहीं बनती है तब भी बच्चों को इससे अवगत न कराएँ क्योकि उन पर इसका नकारात्मक असर पड सकता है |आप बच्चों के सामने दूसरों की जैसी छवि बनायेंगे ,वे उनके बारे में वैसा ही सोचेंगे | नतीजतन आगे चलकर वे भी उन लोगों के प्रति दुर्भावना रखने लगेंगे | हो सकता है अपरिपक्कव होने के कारण सबके सामने ही वे रिश्तेदारों के साथ अशिष्टता से पेश आयें या दुर्व्यवहार करने लगें या कोई कडवी बात कह दें |इससे आपके रिश्ते तो लोगों से ख़राब होंगे ही ,बच्चों कि भी नकारात्मक छवि बनेगी |
बचपन की कमिया
कई बार अभिभावक बातों ही बातों में बच्चों को उनके बचपन की कुछ नकारात्मक बातें या कमजोरियां बताने लगते है | जैसे वे बिस्तर पर पेशाब कर दिया करते थे ,तुतला कर बोलते थे ,हकलाते थे या फिर शर्माते थे |ऐसी बातें बच्चों को बार-बार याद नहीं दिलानी चाहिए और न ही उस बात का मजाक उडाना चाहिए| खासतौर पर रिश्तेदारों और बाहरी लोगों के सामने तो बिलकुल भी नहीं |रिश्तेदारों और करीबियों को भी समझाना चाहिए कि वे ऐसी बातें या मजाक बच्चों के साथ न करे |इससे उनके मन में अपराध वोध और हीन भावना का संचार हो सकता है |
अकाउंट की पूरी जानकारी
आपके लिए बेहद जरुरी है कि घर में रखे आभूषण नकद रुपये या तमाम बैंक अकाउंट की जानकारी बच्चों को कभी न दे |एटीएम पिन ,जरुरी पासवर्ड भी बच्चों के सामने कभी न रखे |इससे बच्चे अनजाने में या भोलेपन में सब किसी और को बता सकते है जिससे आपकी सुरक्षा खतरे में पड सकती है | बच्चे इनसे जितना दूर रहेंगे वह उतना उनके और अभीभावक के लिए सुरक्षित होगा |
बीमारी में उसे न कोसें
यदि बच्चे को कोई ऐसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो जाती है जिसकी वजह से हर व्यक्त उसकी देखभाल करनी पड़े, तो उसको बार-बार ताना न दे कि -तू मेरी जिंदगी पर बोझ बन गया |इससे बच्चे का मन विचलित हो सकता है और हो सकता है उसका मानसिक विकास बाधित हो जाए |
जिसे सादगी पसंद है ,वो कुदरत के बेहद करीब होगा
प्रकृति से जो प्रभावित रहता है ,जो प्रकृति परवाह करने वाला होगा ही | जो लोग बीज से अंकुर ,पौधा और फिर पेड़ बनने तक की प्रक्रिया को देंखते है ,इस पल्लवन व विकास में सहयोग करते है ,वे जानते है कि इस प्रक्रिया में वे अकेले सहभागी नहीं है |ढेर सारे कीट ,पक्षी ,गिलहरी जैसे प्राणी भी उस विकास का हिस्सा रहे है |
रैल्फ वाल्डो एमर्सन ने कहा है ,प्रकृति किसी हड़बड़ी में नहीं रहती |धीमे -धीमे अपने कदम बढाती है |लाख कोशिश कर ले , कितनी भी जल्दी में हो ,लेकिन फिर भी बीज रातोरात पेड़ नहीं बनना चाहेगा |यह विकास को महसूस करने पल्लवित होने की यात्रा के हर क्षण का पूरी शिद्दत से अहसास रखने का अद्भुत सबक है |शाखें ,धरती पर पकड़ मजबूत होती और आसमान की ओर कद निकलता जायेगा -यह सब होगा ,लेकिन अपना समय लेते हुए |अगर किसी पौधे के वृक्ष बनने की यात्रा में विकास की दर को हर रोज देंखे ,तो पल-भर में सफलता के तंत्र खोजने वाला इन्सान ऊब से भर जाए |हम सोच सकते है कि इतने धीमे विकास करने की क्या जरुरत है झटपट बढेगा बेहतर नहीं होता इसका जबाब हम खुद भी ढूंढे तो फिर एक सवाल उठेगा आखिर एक तना चाँद शाखें ,ढेर पत्ते ,गहरी जड़ों वाला सादा -सा पेड़ हमारी प्रकृति के लिए इतना अहम कैसे है ? यूँ ही उग जाता है न कोई झालर ,न जगमग ,न शोर ,न उत्सव ,न कोई रूप निखर -संवार ,फिर भी इन्सान से ज्यादा उपयोगी पर्यावरण के लिए अधिक कारगर |सदियों से है ,सदियों तक रहेगा |हम इंसानों को तो यह गुमान भी है कि पेड़ हमारी दया पर जीवित है| इस ख्याल को सुनकर पेड़ ठहाके लगा सकते ,तो धरती गूंज उठती |पर्दों का दिल इंसानों -सा नहीं होता |
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