डाटा संचार एवं नेटवर्किंग तथा डाटाबेस की धारणाएं

 डाटा संचार एवं नेटवर्किंग तथा डाटाबेस की धारणाएं 


संचार  का अर्थ है - सूचनाओं का आदान -प्रदान करना | वह प्रक्रिया ,जिसके द्वारा एक कंप्यूटर से डाटा ,निर्देशित तथा सूचनाएँ दुसरे कंप्यूटरों  तक पहुँचती है ,डाटा संचार कहलाती है |
डाटा संचार में दो या दो से अधिक computers के मध्य डिजिटल या एनालॉग डाटा का स्थानान्तरण किया जाता है ,जो आपस में संचार चैनल से जुड़े होते है |

डाटा संचार 

डाटा संचार के माध्यम से दो डिवाइस आपस में एक -दुसरे से जुडी होती है | इसमें डाटा या सूचना का स्थानान्तरण किया जाता है | डाटा को सिगनल के रूप  में एक स्थान से दुसरे स्थान तक पहुचायां जाता है | signals तीन प्रकार के होते है |

  1. डिजिटल signals - डिजिटल signals में डाटा का इलेक्ट्रॉनिक रूप अर्थात बाइनरी संख्याओं (0 तथा 1 ) के रूप में आदान -प्रदान किया जाता है 
  2. एनालॉग signals - एनालॉग signals में डाटा का रेडियो तरंगों के रूप में आदान-प्रदान किया जाता है |
  3. हाइब्रिड signals - हाइब्रिड signals में एनालॉग तथा डिजिटल दोनों प्रकार के signals के गुण होते है |

डाटा संचार मॉडल के अवयव 

  1. प्रेषक - सन्देश को भेजने वाली डिवाइस को सेन्डर तथा सोर्स कहा जाता है | इसी प्रकार कोई व्यक्ति अथवा संस्था जो सन्देश को ट्रांसमिट करती है ,प्रेषक कहलाती है |
  2. सन्देश - बध्दता - सूचनाओं आदि को शब्दों चित्रों तथा चिन्हों में बदलने की प्रक्रिया सन्देश -बध्दता कहलाती है |
  3. सन्देश - वह डाटा तथा सूचना जो प्रेषक द्वारा भेजी जाती  है ,सन्देश कहलाती है |उदाहरण के लिए ध्वनि ,फाइल ई-मेल आदि |
  4. संचार मिडिया - वह भौतिक पथ जिसके द्वारा डाटा एक स्थान से दुसरे स्थान पर पहुँचाया जाता है ,संचार मिडिया कहलाता है |इसे चैनल भी कहते है ; जैसे -केबल ,रेडियो तरंगे ,आवृति ,माइक्रो तरंगे आदि |
  5. संचार प्रोटोकॉल - यह डाटा संचार का मुख्य अवयव है | इसके माध्यम से हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर को जोड़ा जाता है |प्रोटोकॉल उस क्रम को प्रदर्शित करता है ,जिसमे signals का स्थानान्तरण किया जाता है |
  6. सन्देश वाचन - इसके अंतर्गत प्राप्तकर्ता प्राप्त किये गये सन्देश का अपनी समझ के अनुसार प्रेषक के उद्देश्य को समझता है|
  7. प्राप्तकर्ता -  वह डिवाइस जो सन्देश प्राप्त करती है ,रिसीवर डिवाइस कहलाती है इसे लिंक भी कहते है |इसी प्रकार कोई व्यक्ति या संस्था जो सन्देश को प्राप्त करता है ,प्राप्तकर्ता कहलाता है |

डाटा संचार की विशेषताएँ 

  1. डिलीवरी  -डाटा को सोर्स डिवाइस से सही गंतव्य तक सही क्रम में डिलीवरी किया जाना चाहिए |
  2. शुध्दता - डाटा को एरर फ्री वितरित किया जाना चाहिए | यदि ट्रांसमिशन के दौरान कोई एरर मौजूद है ,तो डाटा को फिर से प्रेषित किया जाना चाहिए |
  3. समयबध्दता - डाटा निर्दिष्ट समय अवधि के दौरान वितरित किया जाना चाहिए |

संचार चैनल 

दो जुड़ी हुई डिवाइसों के बीच सिगनल भेजने की दिशा ,संचार चैनल कहलाती है |संचार चैनल तीन प्रकार के होते है |

1 सिम्पलेक्स चैनल - इसमें डाटा का प्रवाह सदैव एक ही दिशा में होता है अर्थात यह चैनल केवल एक ही दिशा में डाटा का संचार कर सकता है |इस चैनल के माध्यम से केवल एक संचार युक्ति ही सूचना को भेज सकती है तथा दूसरी संचार युक्ति सूचना को केवल प्राप्त कर सकती है  जैसे -रेडियों ,टेलीविजन आदि |

2 हाफ डुप्लेक्स चैनल - इस चैनल में डाटा का प्रवाह दोनों दिशाओं में होता है ,लेकिन एक समय में केवल एक ही दिशा में डाटा का प्रवाह हो सकता है | जैसे -वॉकी -टाकी आदि |

3 फुल डुप्लेक्स चैनल - इस चैनल में डाटा का संचार दोनों दिशाओं में होता है |दोनों चैनल लगातार डाटा का आदान -प्रदान कर सकते है  जैसे - वायरलैस हैंडसेट |


संचार मिडिया 

किसी कंप्यूटर से टर्मिनल या किसी टर्मिनल से कंप्यूटर तक डाटा के संचार के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता होती है ,इस माध्यम को कम्युनिकेशन लाइन या डाटा लिंक कहते है |

ये दो प्रकार के होते है 

गाइडेड मिडिया या वायर्ड तकनिकी  

इस मिडिया में डाटा सिगनल तारों के माध्यम से प्रवाहित होते है |इन तारों के द्वारा डाटा का संचार किसी विशेष पाथ  से होता है | ये तार ,कॉपर ,टिन या सिल्वर के बने होते है | सामान्यत:ये निम्न प्रकार के होते है |

1 ईथरनेट केबल या ट्विस्टेड पेयर - इस प्रकार के केवल में तार आपस में उलझे होते है ,जिसके ऊपर एक कुचालक पदार्थ तथा एक अन्य परत का बाहरी आवरण लगा होता है |दो में से एक तार सिगनल को प्राप्तकर्ता तक पहुँचाने के लिए  तथा दूसरा अर्थिंग के लिए उपयोग किया जाता है |इस केबल का प्रयोग छोटी दुरी के डाटा संचार के लिए करते है| 
जैसे-लोकल एरिया नेटवर्क (LAN )

2 कोएक्सियल केबल - इस केबल के द्वारा उच्च आवृति वाले डाटा को संचारित किया जाता है |यह केवल उच्च गुणवत्ता का संचार माध्यम है |
इस तार को जमीन या समुन्द्र के निचे से ले जाया जाता है | इस केबल के केंद्र में ठोस तार होता है ,जो कुचालक तार से घिरा होता है |
इस कुचालक तार के ऊपर तार की जाली बनी होती है जिसके ऊपर फिर कुचालक की परत होती है |यह तार अपेक्षाकृत महँगा होता है ,किन्तु इसमें अधिक डाटा के संचार की क्षमता होती है |इसका प्रयोग टेलीविजन नेटवर्क में किया जाता है |

3 फाइवर ऑप्टिकल केबल - यह एक नई तकनीक है ,जिसमे धातु के तारों की जगह विशिष्ट प्रकार के ग्लास या प्लास्टिक के फाइवर का उपयोग डाटा संचार के लिए करते है |यह केबल हल्की तथा तीव्र गति वाली होती है |इस केबल का प्रयोग टेली कम्युनिकेशन  और नेटवर्किंग के लिए होता है | ऑप्टिकल फाइवर की गति कोएक्सियल केबल से सौ गुना ज्यादा तेज है |


अनगाइडेड  मिडिया या वायरलैस तकनीकी 

केबल के महँगा होने तथा इसके रख -रखाव का खर्च अधिक होने के कारण डाटा संचार के लिए इस तकनीक का प्रयोग किया जाता है | अनगाइडेड मिडिया में ,डाटा का प्रवाह बिना तारों वाले संचार माध्यमों के द्वारा होता है | सामान्यत:ये निम्न प्रकार के होते है |

1. रेडियोवेव ट्रांसमिशन -  जब दो टर्मिनल रेडियो आवृतियों के माध्यम से सूचना का आदान -प्रदान करते है ,तो इस प्रकार के संचार को रेडियोवेव ट्रांसमिशन कहा जाता है|इसकी आवृति लगभग 3 Hz से 1 GHz के बीच में होती है |ये रेडियो तरंगे सर्वदिशात्मक होती है तथा लंबी दुरी के संचार के लिए प्रयोग की जा सकती है |

2.माइक्रोवेव ट्रांसमिशन 

इस सिस्टम  में सिगनल बिना किसी माध्यम के रेडियो सिगनल की तरह संचारित होते है तथा सूचना का आदान -प्रदान आवृतियों के माध्यम से किया जाता है | माइक्रोवेव इलेक्ट्रोमैग्गनेटिक  तरंगे होती है ,जिनकी आवृति लगभग 0.3 GHz से 300 GHz के बीच में होती है |ये एकल दिशात्मक होती है |


3. इन्फ्रारेड वेव ट्रांसमिशन 

इन्फ्रारेड वेव छोटी दुरी के संचार के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली उच्च आवृति की तरंगे होती है | ये तरंगे ठोस ऑब्जेक्ट ,जैसे कि दीवार आदि के आर -पार नहीं जा सकती है |इसकी आवृति लगभग 300 GHz से 400 THz तक होती है ,मुख्यतया ये TV रिमोट ,वायरलैस स्पीकर आदि में प्रयोग की जाती है |

4. सैटेलाइट संचार 

यह तीव्र गति का डाटा संचार माध्यम है | यह लम्वी दुरी के संचार के लिए सबसे आदर्श संचार माध्यम होता है |
अंतरिक्ष में स्थित सैटलाइट को जमीन पर स्थित स्टेशन से सिगनल भेजते है तथा सैटलाइट उस सिगनल को दिब्र ट्रांसमिट करके उसे किसी दूर स्थित दुसरे स्टेशन पर वापस भेज देता है | इसका प्रयोग फ़ोन ,टीवी तथा इंटरनेट आदि के लिए सिगनल भेजने में होता है |

कंप्यूटर नेटवर्क 

कंप्यूटर नेटवर्क से हमारा तात्पर्ज आस -पास या दूर बिखरे हुए कंप्यूटर को इस प्रकार जोड़ने से है कि उनमे से प्रत्येक कंप्यूटर किसी दुसरे कंप्यूटर के साथ स्वतन्त्र रूप से संपर्क बनाकर सूचनाओं या संदेशों का आदान -प्रदान कर सके और एक -दुसरे के साधनों तथा सुविधाओं को साझा कर सके |

कंप्यूटर नेटवर्क के लाभ 

 1 साधनों का साझा - हम नेटवर्क के किसी भी कंप्यूटर से जुड़े हुए साधन का उपयोग नेटवर्क के अन्य कंप्यूटर पर कार्य करते हुए कर सकते है  जैसे - प्रिंटर को कंप्यूटर के साथ जोड़कर नेटवर्क के अन्य कंप्यूटर से उस प्रिंटर पर कोई भी फाइल प्रिंट की जा सकती है |

2. सॉफ्टवेयर का साझा - कंप्यूटर नेटवर्क द्वारा सॉफ्टवेयर का भी साझा किया जा सकता है |नेटवर्क का प्रयोग करके सर्वर पर कोई भी सॉफ्टवेयर लोड करके प्रत्येक कंप्यूटर में उसका उपयोग किया जा सकता है |

3 डाटा का तीव्र सम्प्रेषण - कंप्यूटर नेटवर्किंग से दो कंप्यूटर के बीच सूचना का आदान -प्रदान तीव्र तथा सुरक्षित रूप में होता है |

4 विश्वसनीयता - नेटवर्क द्वारा प्रदान की गयी सूचनाएँ पूर्णत: गोपनीय होती है ,जिससे उसकी विश्वसनीयता बढती है |

5. डाटा स्टोरेज - नेटवर्किंग में कंप्यूटर एक -दुसरे के लिए बैकअप का कार्य भी करते है ,जिससे डाटा सुरक्षित किया जा सकता है |

 



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन

इंटरनेट तथा इसकी सेवाएँ

क्या बच्चों को सब बता रहे है