एम .आर .पी मार्गदर्शिका
समूह बैठक एवं गृह भ्रमण
जीविका -संक्षिप्त परिचय
बिहार में ग्रामीण गरीबी उन्मूलन की दिशा में बिहार जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति (जीविका ) एक सशक्त एवं प्रभावी माध्यम के रूप में स्थापित है |
राज्य सरकार ने विश्व बैंक के सहयोग से वर्ष 2007 में इसका गठन कर परियोजना की शुरुआत की | वर्ष 2011 में भारत सरकार ने बिहार में राष्ट्रीय ग्रामीण जीविकोपार्जन मिशन (NRLM )के क्रियान्वयन हेतु जीविका को नामित किया | तत्पश्चात इस मिशन को दृढ़ता प्रदान करने की दिशा में राष्ट्रीय ग्रामीण जीविकोपार्जन परियोजना (NRLP ) प्रारंभ की गयी | राज्य के छः जिलों के 18 प्रखंडों से शुरुआत की गयी यह परियोजना चरणबद्ध तरीके से विस्तारित होकर राज्य के सभी 534 प्रखंडों में कार्यरत है |इसके अंतर्गत गरीबों के सामुदायिक संगठनों का निर्माण कर जीविकोपार्जन हेतु वित्तीय सहयोग ,सूक्ष्म ऋण तथा लेखा प्रबंधन के लिए क्षमता वर्धन विकास किया जाता है | जीविका राष्ट्रीय स्तर पर संसाधन संगठन के रूप में भी कार्य कर रही है | जीविका चार राज्यों में सामुदायिक संसाधन सेवियों एवं परियोजना कर्मियों की सहायता से राष्ट्रीय ग्रामीण जीविकोपार्जन मिशन (NRLM ) के कार्यों को संपादन कर रही है |
वर्तमान में जीविका द्वारा राज्य सरकार की सतत् जीविकोपार्जन योजना (SJY ) समेकित मुर्गीपालन विकास योजना ,दीन दयाल उपाध्य -ग्रामीण कौशल्य योजना (DDU _GKY ),sustainable livelihood adaption for climate change (SLACC),start UP village entrepreneurship programme(SVEP) ,bihar transformation development project (BTDP),योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है |
भाग 1 -लक्षित परिवारों का समूह बैठक
समूह के चरण : सतत् जीविकोपार्जन योजना के एम .आर .पी के द्वारा लक्षित परिवारों का साप्ताहिक बैठक किया जाना है |
साप्ताहिक बैठक के चरण इस प्रकार है -
1 लाभार्थी की उपस्थिति
2 सदस्यों को स्वय /खुद का हस्ताक्षर करना सीखना
3 जीविका एवं सतत् जीविकोपार्जन योजना पर चर्चा
4 लाभार्थी का उत्साहवर्धन /प्रेरित करना
5 पिछले बैठक के सामाजिक मुद्दे पर चर्चा
6 आज के बैठक के सामाजिक मुद्दे पर चर्चा
7 व्यावसायिक साक्षरता
8 व्यवसाय से सम्बंधित समस्या तथा उसके समाधान
9 जीविकोपार्जन अंतराल राशि के उपयोग तथा उसके महत्त्व पर चर्चा
10 दैनिक बचत की जाँच
1 सदस्यों का हस्ताक्षर तथा उपस्थिति
सतत जीविकोपार्जन योजना (SJY ) के तहत लाभार्थी समूहों के साप्ताहिक बैठक शुरू होने के पहले सभी सदस्यों को एक दुसरे का अभिवादन करना चाहिए | MRP (एम .आर.पी ) के द्वारा उपस्थित सदस्यों से परिचय के दौरान ही अपना हाल -चाल /पारिवारिक हाल के बारे ने भी संक्षिप्त जानकारी लेनी चाहिए | बैठक के लिए दरी /चादर इत्यादि का उपयोग कर सकते है |सभी सदस्य और एम.आर.पी एक सामान बैठने का साधन का उपयोग करेंगे | बैठक का स्थान लाभार्थियों में से किसी लाभार्थी का घर हो सकता है |
नोट- समूह के बैठक में U आकार में बैठना चाहिए
नोट -सभी एम .आर .पी के पास एक उपस्थिति रजिस्टर होना चाहिए \इस रजिस्टर में सोमवार से शनिवार तक सभी समूह का लाभार्थी का नाम लिखा होना चाहिए | लाभार्थी बैठक के दौरान अपने नाम के सामने हस्ताक्षर करेंगे |
2. सदस्यों को स्वयं / खुद का हस्ताक्षर करना सीखना
सभी सदस्यों को स्वयं का नाम लिखना /हस्ताक्षर सिखाने का कार्य एम .आर .पी के द्वारा किया जायेगा | सदस्यों को हस्ताक्षर सिखाने के लिए एम .आर.पी अपने पास एक रजिस्टर रखेगा |
इस रजिस्टर में एम.आर.पी के द्वारा लाभार्थी को हस्ताक्षर सिखाया जायेगा |
रजिस्टर में सर्वप्रथम दिनांक ,दिन तथा समय लिखा जायेगा |उसके बाद प्रति लाभार्थी तीन कॉलम बनाकर लाभार्थी का नाम एम.आर.पी के तीनों कॉलम में लिखा जायेगा | नाम लिखने के बाद समूह में लाभार्थी बैठकर अपने नाम के ऊपर कलम /पेंसिल से घुमायेगा | इसके बाद नीचे वाले कॉलम में लाभार्थी अपना नाम लिखने का प्रयास करेगा |
साथ ही लाभार्थी अपने घर में भी अपने नाम को लिखने का प्रयास करेगा |लाभार्थी के द्वारा जो भी प्रयास किया जायेगा ,उसे वो लेकर समूह के बैठक में आएगा \
हरेक बैठक में सदस्यों को हस्ताक्षर सिखाने के बाद एम.आर.पी अपना हस्ताक्षर करेगा |
सदस्यों को हस्ताक्षर सिखने वाले रजिस्टर का प्रारूप इस प्रकार है
दिनांक -
दिन-
समय -
एम.आर.पी का हस्ताक्षर
3. सतत् जीविकोपार्जन योजना तथा उनके बिन्दुओं पर चर्चा
जीविका :
बिहार में ग्रामीण गरीबी उन्मूलन की दिशा में बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति (जीविका ) एक सशक्त एवं प्रभावी माध्यम के रूप में स्थापित है | राज्य सरकार ने विश्व बैंक के सहयोग से 2007 में इसका गठन कर बिहार जीविकोपार्जन परियोजना की शुरुआत की | वर्ष 2011 में भारत सरकार ने बिहार में रास्ट्रीय ग्रामीण जीविकोपार्जन मिशन (NRLM) प्रारंभ की गयी |वर्तमान में जीविका बिहार के सभी 534 प्रखंडों में कार्यरत है | जीविका के तहत ग्रामीण गरीब महिलाओं के स्वयं सहायता समूह का गठन किया जाता है | समूह गठन के बाद समूह के सदस्यों को जीविकोपार्जन गतिविधियों (कृषि ,गैर कृषि ,पशुधन ) इत्यादि से जोड़ा जाता है | समूह के कार्यों में सहयोग तथा लेखांकन के लिए विभिन्न स्तर पर सामुदायिक कैडर कार्य करते है |
सतत् जीविकोपार्जन योजना (SJY )
राज्य सरकार ने 26 अप्रैल 2018 को देशी शराब एवं ताड़ी के उत्पादन एवं बिक्री में पारंपरिक रूप से जुड़े अत्यंत निर्धन परिवार एवं अनुसूचित जाति ,जनजाति तथा अन्य समुदायों के लक्षित अत्यंत निर्धन परिवार के लिए सतत् जीविकोपार्जन योजना की स्वीकृति प्रदान की |
सतत् जीविकोपार्जन योजना का उद्देश्य
इस योजना के तहत शराब एवं ताड़ी के उत्पादन एवं बिक्री में पारंपरिक रूप से जुड़े अत्यंत निर्धन परिवार एवं अनुसूचित जाति ,जनजाति तथा अन्य समुदायों के लक्षित अत्यंत निर्धन परिवारों को जीविकोपार्जन गतिविधियों के वृद्धि सहयोग प्रदान करना है |लक्षित परिवारों को जीविकोपार्जन गतिविधियों के फलीभूत होने तक 1000 /- प्रति माह (7 माह तक) सहायता राशि दिया जायेगा | जीविकोपार्जन सूक्ष्म योजना के आधार पर ग्राम संगठन द्वारा लक्षित परिवारों को एकीकृत परिसंपति के सृजन हेतु औसतन 60,000/- प्रति परिवार निवेश में सहयोग दिया जायेगा | योजना के अंतर्गत लक्षित अत्यंत निर्धन परिवारों का चयन ग्राम संगठन द्वारा किया जायेगा एवं स्वयं सहायता समूहों से असम्बन्ध परिवारों को समूहों से जोड़ा जायेगा | लक्षित परिवारों के क्षमता संवर्धन एवं 30-50 लक्षित परिवारों के लिए एक सामुदायिक संसाधन सेबी (MRP ) का प्रावधान किया गया है |
समूह बैठक का उपयोगिता : सतत् जीविकोपार्जन योजना के तहत चयनित लाभार्थियों के पारंपरिक सहयोग के लिए साप्ताहिक रूप से समूह बैठक का काफी महत्त्व है |
- समूह से एक दुसरे को जानकारी आदान -प्रदान करने में सहयोग मिलेगा
- समूह में बैठने पर सामाजिक मुद्दों पर चर्चा तथा सहयोग मिल जायेगा
- आपसी सहयोग
- आत्म विश्वास में वृद्धि
- व्यापार बढ़ाने के लिए जानकारी का आदान -प्रदान
सतत् जीविकोपार्जन योजना की नियम नीति
- समूह के बैठक में समय पर आना है ग्राम संगठन के बैठक में समय पर जाना है आवश्यकता अनुसार जब भी योजना से सम्बंधित बैठक /प्रशिक्षण में बुलाया जाने पर भाग लेना है |
- प्रतिदिन व्यापार करना
- व्यापार के लिए नियमित खरीदारी करना
- पूंजी राशि को नष्ट नहीं करना
- कोई भी समस्या को खुद के स्तर से समाधान करना तथा खुद से समाधान नहीं होने पर सहायता हेतु एम.आर.पी तथा ग्राम संगठन को खबर करना |
4. उत्साहवर्धन /प्रेरित करना
उत्साहवर्धन को दो भाग में बांटा गया है
- स्थायी उत्साहवर्धन
- आवश्यकता उत्साहवर्धन
- आत्म विश्वाश वृद्धि
- व्यव्हार परिवर्तन
- बचत
- लाभार्थी का खुद का विश्वास
- भविष्य कार्य योजना
आवश्यकता अनुसार उत्साहवर्धन
गृह भ्रमण के दौरान जब एम.आर.पी लाभार्थी से मिलेगा या समूह में बैठक करेगा तो उस समय भी कुछ समस्याएँ निकल के सामने आ सकती है | ऐसी समस्याओं के समाधान के दौरान एम.आर.पी के द्वारा लाभार्थी का उत्साहवर्धन किया जायेगा |जैसे एक समूह के बैठक में 4 लाभार्थी चप्पल पहन कर आई हुई है और एक लाभार्थी चप्पल पहन कर नहीं आई है | एम.आर.पी के द्वारा उस लाभार्थी को चप्पल पहन कर आने के लिए आवश्यकता अनुसार प्रेरित /उत्साहवर्धन किया जाएगा | ऐसा करने से उस लाभार्थी के अन्दर व्यक्तिगत बदलाव आएगा |
5. पिछले बैठक के सामाजिक मुद्दे पर चर्चा
समूह के सदस्यों के साथ पिछले बैठक के दौरान चर्चा हुए सामाजिक मुद्दे पर छोड़े -छोड़े प्रशन के माध्यम से उपस्थित सदस्यों से चर्चा किया जायेगा और इसमें सभी लाभार्थियों को शामिल किया जायेगा |किसी सदस्य के द्वारा प्रशन का जवाब नहीं आने पर एम.आर.पी द्वारा पुन:चर्चा करना होगा और उस प्रशन का जवाब देते हुए उसपर विस्तृत जानकारी उपस्थित सदस्यों को देना होगा |(5 से 15 मिनट्स )|
6. आज के बैठक के सामाजिक मुद्दे पर चर्चा
पिछले बैठक के चर्चा ख़त्म होने के बाद नए सामाजिक मुद्दे पर एम.आर.पी के द्वारा चर्चा किया जायेगा |एम.आर.पी के द्वारा उपस्थित सदस्यों से विस्तृत चर्चा किया जायेगा |
- महिला सशक्तिकरण
- जन्म /मृत्यु /विवाह का पंजीकरण
- बिमारियों एवं टीकाकरण (नारी /बच्चा )
- मानव (महिला /बच्चों )के तस्करी पर रोकथाम
- बल विवाह
- दहेज़ प्रथा
- पोषण
- क्रीमी नासक
- हाथ को धोना
- स्वच्छता व व्यक्तिगत साफ -सफाई
- स्वस्छ पेयजल
- फल /सब्ब्जी का उत्पादन
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